विमोचन-समारोह में सम्मिलित होने के लिए जा रहा हूँ!
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बंदर मामा साथ हो लिया
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"सरस पायस" के अनुरूप बनाने के लिए प्रकाशनार्थ स्वीकृत रचनाओं में आवश्यक संपादन किया जा सकता है। रचना का शीर्षक भी बदला जा सकता है। ये परिवर्तन समूह : "आओ, मन का गीत रचें" के माध्यम से भी किए जाते हैं!
प्रकाशित/प्रकाश्य रचना की सूचना अविलंब संबंधित ईमेल पते पर भेज दी जाती है।
मानक वर्तनी का ध्यान रखकर यूनिकोड लिपि (देवनागरी) में टंकित, पूर्णत: मौलिक, स्वसृजित, अप्रकाशित, अप्रसारित, संबंधित फ़ोटो/चित्रयुक्त व अन्यत्र विचाराधीन नहीं रचनाओं को प्रकाशन में प्राथमिकता दी जाती है।
रचनाकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे "सरस पायस" पर प्रकाशनार्थ भेजी गई रचना को प्रकाशन से पूर्व या पश्चात अपने ब्लॉग पर प्रकाशित न करें और अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित न करवाएँ! अन्यथा की स्थिति में रचना का प्रकाशन रोका जा सकता है और प्रकाशित रचना को हटाया जा सकता है!
पूर्व प्रकाशित रचनाएँ पसंद आने पर ही मँगाई जाती हैं!
"सरस पायस" बच्चों के लिए अंतरजाल पर प्रकाशित पूर्णत: अव्यावसायिक हिंदी साहित्यिक पत्रिका है। इस पर रचना प्रकाशन के लिए कोई धनराशि ली या दी नहीं जाती है।
अन्य किसी भी बात के लिए सीधे "सरस पायस" के संपादक से संपर्क किया जा सकता है।
7 टिप्पणियां:
best wishes for him, may the book be a bestsellers
badhai...
डा. रूप चन्द्र शास्त्री जी को मेरी अछोर बधाइयाँ . विभागीय कार्यों के चलते मैं उनके आयोजन में नहीं आ सका . उनकी पुस्तक बाल साहित्य जगत में नवीन मानक निरुपित करे औए बालकों की सच्ची मित्र बनकर उभरे , यही कामना है.
शुबह्कामनाऎ ओर बहुत सी बधाई जी
आदरणीय मयंक अंकल को बधाई और शुभकामनाये.....
सरस पायस पर मेरी पुस्तक नन्हे सुमन के विमोचन और उसमें छपी बाल कविता को प्रकाशित करने के लिए आभार!
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विमोचन के कार्यक्रम और ब्लॉगर्स सम्मेलन का सफल संचालन करने के लिए रावेंद्रकुमार रवि जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!
मयंक दादा जी को ढेर सारी बधाई. रवि अंकल ने तो कुछ गीत यही पढ़ा दिए..पर हमें भी यह पुस्तक पढने के लिए भेजिएगा.
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