अब चलते हैं नेशनल ज्योग्रेफिक डॉट कॉम की सैर करने!
यहाँ आपको मिलेंगे ऐसे प्यारे-प्यारे बहुत से फ़ोटो!
भौंरे और मधुमुखी ने
जिनसे सरस हुआ ख़ुश हो
वह भी नाचा पंखुरी उठाए!
"सरस पायस" के अनुरूप बनाने के लिए प्रकाशनार्थ स्वीकृत रचनाओं में आवश्यक संपादन किया जा सकता है। रचना का शीर्षक भी बदला जा सकता है। ये परिवर्तन समूह : "आओ, मन का गीत रचें" के माध्यम से भी किए जाते हैं!
प्रकाशित/प्रकाश्य रचना की सूचना अविलंब संबंधित ईमेल पते पर भेज दी जाती है।
मानक वर्तनी का ध्यान रखकर यूनिकोड लिपि (देवनागरी) में टंकित, पूर्णत: मौलिक, स्वसृजित, अप्रकाशित, अप्रसारित, संबंधित फ़ोटो/चित्रयुक्त व अन्यत्र विचाराधीन नहीं रचनाओं को प्रकाशन में प्राथमिकता दी जाती है।
रचनाकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे "सरस पायस" पर प्रकाशनार्थ भेजी गई रचना को प्रकाशन से पूर्व या पश्चात अपने ब्लॉग पर प्रकाशित न करें और अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित न करवाएँ! अन्यथा की स्थिति में रचना का प्रकाशन रोका जा सकता है और प्रकाशित रचना को हटाया जा सकता है!
पूर्व प्रकाशित रचनाएँ पसंद आने पर ही मँगाई जाती हैं!
"सरस पायस" बच्चों के लिए अंतरजाल पर प्रकाशित पूर्णत: अव्यावसायिक हिंदी साहित्यिक पत्रिका है। इस पर रचना प्रकाशन के लिए कोई धनराशि ली या दी नहीं जाती है।
अन्य किसी भी बात के लिए सीधे "सरस पायस" के संपादक से संपर्क किया जा सकता है।
7 टिप्पणियां:
सभी दोस्तों के ब्लोग्स की सुंदर चर्चा...... सुंदर चित्र
its refreshing!!
हिंदी में लिखना था... तरोताजा कर देने वाली चर्चा....
वाह भाई वाह
मेरे सभी दोस्तों के ब्लोग्स की सुंदर चर्चा और उन की प्यारी प्यारी फोटॊस भी ...अच्छा लगा....
सराहनीय चर्चा .
खास कर ... शाष्त्री जी ने "वेबकैम " जैसे विषय पर पहली बार पर कविता लिखकर यह सिद्ध कर दिया है कि काव्य जगत में उनका कोई सानी नहीं .
नटखट बच्चो की प्यारी सी नटखट चर्चा बहुत अच्छी लगी....
साभार.
बच्चों के बीच आना जीवन को एक तरोताज़गी दे जाता है..बहुत रोचक और मनोहारी चर्चा..
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