बुधवार, मार्च 03, 2010
हम हैं बच्चे सबसे अच्छे : विश्वबंधु की एक बालकविता
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11 टिप्पणियां:
अरे वाह बहुत सुन्दर कविता भी और रचयिता भी
होनहार वीरवान के होत चीकने पात । विश्वबंधु की बहुत ही सुन्दर कविता । शुभकामनायें ।
विश्वबंधु को ढेर सारी बधाई और शुभकामनायें....अभी से कल्पना की उड़ान और हकीकत दोनों में सामंजस्य किया हुआ है...और रावेंद्र जी को आभार कि हमें ये कविता पढने का अवसर दिया
vishwabandhu..mere bachche..tumhari pratibha din duni raat chouguni bare,yahi mera aashirwad hai..tum bahut bare kavi bankar sare vishwa me cha jao..(neha gupta anju)
अरे वाह बहुत सुन्दर कविता है.
mera ashirwad hai ki mera vishwa sare vishwa apna,apne pariwar ka aur apne desh ka naam roshaan kare(archna gupta)
itni sundar kavita ke nanhe rachnakar ke rachnakar ko mera naman,jisne itni sundar rachna ka srajan karne ki prerna dee,mera aashirwad hai ki vishwa bandhu,vishwa vikhyat kavi bankar desh kee keerti sarvatra bikhere.(dr.desh bandhu shahjahanpuri)
बहुत सुन्दर!
आज यह बात तो साबित हो ही गई है
लोहार का बेटा तो लोहार नही हो सकता,
परन्तु कवि का बेटा कवि अवश्य हो सकता है!
शाबास विश्वबन्धु ..बड़े होकर भी कविता लिखना ।
यह जानकर बहुत अच्छा लग रहा है कि
आप सबको "विश्वबंधु" की कविता पसंद आई!
इसे प्रकाशित करके मैं बहुत ख़ुश हूँ!
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