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20 टिप्पणियां:
आकांक्षा यादव जी की शिशु कविता "म्याऊँ करके उसे चिढ़ाती" बहुत अच्छी लगी...बधाई. मैंने भी यह कविता पढ़ कर एक कविता लिखी है.
.अभी अभी...आपकी कविता की प्रेरणा से ...
हरियल तोता कितना प्यारा,
गोल आँख लगती है तारा,
कुतर कुतर कर मिर्ची खाए,
मुंह जले पानी मंगवाए,
म्याऊँ कह कोई उसे डराता,
पिंजरे में झट से घुस जाता.
-दीनदयाल शर्मा
मिर्ची बहुत चाव से खाता,
लेकर मेरा नाम बुलाता!
इसका रंग बहुत प्यारा है,
अलबेला मिट्ठू न्यारा है!
--
आकांक्षा यादव जी का
शिशुगीत बहुत ही सुन्दर है!
--
सरस पायस के अनुरूप है!
--
बहुत-बहुत बधाई!
बहुत अच्छी कविता।
बहुत ही सुन्दर और प्यारा तोता है
कुछ शीतल सी ताजगी का अहसास करा गई आपकी रचना।
sundar kavita !
बहुत सुंदर जी ,
चावल दाल और अमरुद भी तो दो उसे..बस मिर्ची पानी पर कब तक चलेगा बेचारा. :)
बहुत बढ़िया रचना!
bachpan yaad aa gyiii
बहुत बढ़िया शिशु कविता है। इसे पढ़कर दिल ख़ुश हो गया।
म्याऊँ करके उसे चिढ़ाती,
बिल्ली से मैं उसे बचाती।
ये पंक्तियाँ मुझे बिल्कुल नई
और प्यारी लगीं!
बहुत प्यारी बाल कविता....बधाई
रवि जी, सरस पायस जिस तरह बच्चों के साथ-साथ बड़ों का बचपना भी लौटा रहा है, वह सराहनीय है. मेरे इस शिशु-गीत के प्रकाशन के लिए आभार.
आप सभी के प्रोत्साहनस्वरूप टिप्पणियों के लिए आभार.
चिट्ठाजगत पर इस समय
"सरस पायस" का सक्रियता क्रमांक 111 है!
म्याऊँ करके उसे चिढ़ाती,
बिल्ली से मैं उसे बचाती।
बहुत सुन्दर बाल-गीत लिखा आकांक्षा जी ने..बधाई.
आकांक्षा यादव जी का शिशुगीत बहुत ही सुन्दर व मनभावन लगा..बधाई.
मजा आ गया यह शिशु गीत पढ़कर..आकांक्षा जी व सरस पायस को बधाई.
बहुत प्यारा बाल गीत. मन को भा गया.
म्याऊँ करके उसे चिढ़ाती,
बिल्ली से मैं उसे बचाती।
....म्याऊँ-म्याऊँ...कित्ता प्यारा गीत ..है न. मेरे मन को तो भा गया.
अगर यह कविता
पाखी के मन को भा गई,
तो समझो -
रचनाकार और सरस पायस
दोनों का श्रम सजीव हो गया!
--
पाखी और माधव को
उनकी मीठी-मीठी टिप्पणियों के लिए
मीठा-मीठा प्यार!
--
अन्य सभी
आदरणीय टिप्पणीकारों का भी आभारी हूँ!
"सरस पायस" पर अपना स्नेह ऐसे ही बरसाते रहें!
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