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सोमवार, मई 09, 2011

बस थोड़ा-सा पढ़ने दो : डॉ. मोहम्मद अरशद ख़ान का बालगीत

बस थोड़ा-सा पढ़ने दो


जो ना जानें लिखना-पढ़ना,
उन सबको अब क़लम पकड़कर,
नई सीढ़ियाँ चढ़ने दो।
बस, थोड़ा-सा पढ़ने दो। 


जो ना पढ़ पाए हैं पुस्तक,
जिन्हें नहीं है अक्षर-ज्ञान,
खेल न पाए खेल-खिलौने,
रूठी है जिनसे मुस्कान।
जिन हाथों में जूठे बर्तन,
उनको स्लेट पकड़ने दो।
बस, थोड़ा-सा पढ़ने दो।


जिन्हें न मिलता प्यार अनूठा,
जिन्हें न करते सभी दुलार,
जिनको क़िस्मत में मिलती है,
पग-पग पर कड़वी फटकार।
अब उनको भी अवसर देकर,
अपनी क़िस्मत गढ़ने दो।
बस, थोड़ा-सा पढ़ने दो।


ना जाने इनमें ही कोई,
छुपा हुआ हो मोती-लाल,
जो अपनी भारत माता का
ऊँचा कर सकता है भाल।
इनको इस अनंत अंबर में,
पंख खोलकर उड़ने दो।
बस, थोड़ा-सा पढ़ने दो।


डॉ. मोहम्मद अरशद ख़ान 
(सभी चित्र : गूगल खोज से साभार)

10 टिप्‍पणियां:

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

ऐसे सुन्दर और मधुर गीत बहुत कम लिखे गये हैं....
इस गीत में न केवल मधुरता है अपितु साक्षरता का सन्देश भी निहित है.
डॉ. मोहम्मद अरशद खान जी ने इस गीत से एक साथ कही उद्देश्यों को पाने की कोशिश की है.
— गीत में कल्याणकारी सर्वहितकारी भावना है.
— गीत में राष्ट्रीयता निहित है.
— गीत बाल रुचि को ध्यान में रखकर लिखा गया है.
— गीत गेय है जिसे बार-बार पढ़ने में भी वाचिक सुख कम नहीं होता.
.........रावेन्द्र जी आपने पाठकों को इस बार भी रसभरी खीर परोसी है. साधुवाद मुँह मीठा करवाने के लिये.

Coral ने कहा…

सच में थोडा सा पढ़ लिख जाये तो जिंदगी कितना सुधर जायेगी......
हाथों में जूठे बर्तन, उनको स्लेट पकड़ने दो। बस, थोड़ा-सा पढ़ने दो।

बहुत सुन्दर -आभार

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

बहुत अच्छी कविता

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत प्रेरक बाल रचना!

sudhir saxena 'sudhi' ने कहा…

उत्कृष्ट रचना के लिए कवि और सरस पायस दोनों को बधाई.
-सुधीर सक्सेना 'सुधि'

बेनामी ने कहा…

बहुत सुन्दर और प्रेरक गीत,

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर और सार्थक बाल गीत..

Kashvi Kaneri ने कहा…

बहुत प्यारी कविता है

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

पढाई तो बहुत जरुरी है...सुन्दर बाल गीत.


_____________________________
पाखी की दुनिया : आकाशवाणी पर भी गूंजेगी पाखी की मासूम बातें

मीनाक्षी ने कहा…

कविता के भाव और बच्चों के चित्रों ने दिल को छू लिया... हम इस सन्देश पर अमल कर सकें यही कामना है.

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