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गुरुवार, दिसंबर 24, 2009

रावेंद्रकुमार रवि का एक बालगीत : जाओ बीते वर्ष

गत "बाल-दिवस" पर मैंने "सरस पायस" को
पूरी तरह से बच्चों को समर्पित कर दिया था!

उसके कुछ समय बाद से "सरस पायस" पर पूर्व प्रकाशित
सभी रचनाएँ दिखाई देना बंद हो गईं
और "बाल-दिवस" पर प्रकाशित पोस्ट
के अंतर्गत प्रकाशित रचना
के साथ लगे सभी फ़ोटो ग़ायब हो गए!

कुछ पता नहीं चल पाया - कैसे?

इस व्यवधान के बाद आज से मैं
पर पुन: प्रकाशन प्रारंभ कर रहा हूँ!
इस बालगीत के साथ --

जाओ बीते वर्ष,
तुम्‍हारी बहुत याद तड़पाएगी!

जो भी सपने देखे हमने
किए तुम्‍हीं ने पूरे!
बहुत प्रयास किए लेकिन
अब तक कुछ रहे अधूरे!
माना नए वर्ष में ये
सपने पूरे हो जाएँगे!
और हमारी आशाओं के
नए पंख लग जाएँगे!
किंतु किसी टूटे सपने की
फिर भी याद सताएगी!

जाओ बीते वर्ष,
तुम्‍हारी बहुत याद तड़पाएगी!

अगर बिछुड़ते हैं कुछ तो
कुछ नए मीत भी मिलते हैं!
जिनके साथ बैठकर हम
सुख-दुख की बातें करते हैं!
माना नए मिले साथी भी
मन को भा ही जाएँगे!
उनके साथ खेल-पढ़ लेंगे
संग-संग मुस्‍काएँगे!
किंतु किसी बिछुड़े साथी की
फिर भी याद रुलाएगी!

जाओ बीते वर्ष,
तुम्‍हारी बहुत याद तड़पाएगी!

रावेंद्रकुमार रवि

13 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत ही गरिमामय
और
भाव-भीनी विदाई दी है आपने,
जाते हुए वर्ष को!

Udan Tashtari ने कहा…

जाओ बीते वर्ष,
तुम्‍हारी बहुत याद तड़पाएगी!


-बहुत बढ़िया.

आदेश कुमार पंकज ने कहा…

BAHUT HI SUNDER TARIKE SE PURANE VARSH KO VIDAI DI HAI APNE.BHAI RAVI JI MANAKI JANE KA DUKH TO HOTAHAI. PAR YEH BHI SUCH HAI KI AAGE JANE KE LIYE PEECHE KO BHULNA HI HOGA.

आदेश कुमार पंकज ने कहा…

बहुत सुंदर और प्रभाव शाली तरीके से पूर्व वर्ष की विदाई |
उन यादों को भूल कर आगे पथ पर चलते रहना ही उन्नति का सूचक है |
भाई रवि जी आपको नए वर्ष की बहुत -बहुत शुभ कामनाएँ

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर लगा पढ् कर आप की यह रचना. धन्यवाद

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

ग्वालियर, मध्य प्रदेश (भारत) से
आदरणीया गिरिजा कुलश्रेष्ठ द्वारा
ई-मेल से भेजा गया संदेश --
"उम्मीदों को अन्तर में समेटे अनकही सी व्यथा के बोध को व्यक्त करता य़ह बाल-गीत रवि को कवि के रूप में उजागर करता है!"

siddheshwar singh ने कहा…

वर्ष तो बीत गया रवि जी
किन्तु जीवन और जगत की नदी
अविराम बह रही है
बहती रहेगी।

नए साल में
नया कुछ करना है
और पुराने वर्ष की सार्थक जीवंतता से
पथ को आलोकित करना है।

* रचना हमेशा की तरह अच्छी और सच्ची !
बना रहे यह क्रम !!
शुभकामनायें ! ! !

Laviza ने कहा…

शुक्रिया रवि अंकल,
मुझे अपने ब्लॉग में स्थान देने के लिए मेरे और मेरे परेंट्स की तरफ से आपका बहुत बहुत शुक्रिया..

Kashvi Kaneri ने कहा…

माना नए मिले साथी भी
मन को भा ही जाएँगे!
उनके साथ खेल-पढ़ लेंगे
संग-संग मुस्‍काएँगे!
किंतु किसी बिछुड़े साथी की
फिर भी याद रुलाएगी!
बहुत सुन्दर पँक्तियाँ हैं ………मेरे मन को छू गई……लगता है ये मेरे लिये ही बनी है । धन्यवाद अंकल…..

Paise Ka Gyan ने कहा…

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बेनामी ने कहा…

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