"सरस पायस" पर सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत है!

मंगलवार, सितंबर 14, 2010

रिमझिम का प्यारा दोस्त कौन है? : सरस चर्चा (13)

आज सरस चर्चा की शुरूआत करते हैं
नेशनल ज्यॉगरफ़िक डॉट कॉम पर 6 सितंबर को
फ़ोटो ऑफ़ द डे में दिखाए गए इस फ़ोटो से!
क्या आप बता सकते हैं?
इस फ़ोटो में कौन-सा जानवर दिखाई दे रहा है?


सरस पायस पर अरविंद राज की एक बहुत प्यारी कविता छपी!
इससे निकलती मनभावन ध्वनियों को
अपने मुँह से निकालने में आपको बहुत मज़ा आएगा!

बहुत ज़ोर बरसेगा पानी,
अपने बच्चे लेकर भागी;
बत्तख रानी, सटर-पटर, फिर पटर-सटर !


राधा-कृष्ण बनने के समाचार अभी ज़ारी हैं!
नन्ही पाखी का राधा-रूप देखिए, कितना सुंदर है!


बाल उद्यान में शरद तैलंग चिड़ियों का अलार्म सुना रहे हैं!

सुबह-सुबह ही मेरी बगिया
चिड़ियों से भर जाती है।
उनके चीं-चीं के अलार्म से
नींद मेरी खुल जाती है।



शुभम् सचदेव एक बढ़िया कहानी लेकर आए हैं!
आइए सुनते हैं उनकी यह कहानी -

एक बार गणेश जी अपने बड़े भाई
कार्तिकेय के साथ खेली-खेली कर रहे थे!


नन्हे-मुन्ने पर डॉ. मोनिका शर्मा गणपति बप्पा को
जन्म-दिन की बधाइयाँ कुछ इस अंदाज़ में दे रही हैं -

गणपति बप्पा फिर से आए
मूषक पर होकर सवार!
घर-घर में खुशियाँ ले आए
बह रही भक्ति रसधार!


और ये रहे रिमझिम के प्यारे दोस्त, रिमझिम के साथ -

Chinmayee    /    Rimjhim

जबलपुर में आपके जादू की मस्‍ती जारी है!
'गैया' और 'भैया' के साथ तो जादू रोज़ ही खेलता है,
पर ईद के दिन उसे बहुत मज़ा आया!
जादू ने भी सबको ईद की बधाई दी
और बना दिया अपने पापा को घोड़ा!
ये पापा लोग घोड़ा बनकर इतने ख़ुश क्यों हो जाते हैं?

IMG_7725IMG_7747IMG_7727

लविज़ा भी सबको ईद की मुबारक़बाद दे रही है -

आप सभी को हमारी ज़ानिब से ईद की बहुत-बहुत मुबारकबाद!
दुआ है कि अल्लाह हमारी और आपकी सारी मुरादें पूरी करें!
हमारे दिलों में खुशियाँ हो और दुनिया में अमन!

लविज़ा : एक प्यारी-सी ब्लॉगपरी

माधव तो दिल्ली की बाढ़ में फँसे हुए हैं!
बूँदें अब इनके सिर पर नहीं रुक पातीं!


चुलबुल ने आप सबके लिए एक बढ़िया-सा लैंप बनाया है!
इसकी रोशनी में आप अच्छी पढ़ाई कर सकते हैं!


आज हिंदी-दिवस पर अक्षिता पाखी का कहना है -

हिंदी तो अपनी मातृभाषा है,
इसलिए हमें इसका सम्मान करना चाहिए!
हिंदी-दिवस पर आप सभी को ढेरों बधाइयाँ और प्यार!


बाल-दुनिया में कृष्ण कुमार यादव ने कहा है -

हिन्दी है यह हिन्दी है, राष्ट्र-भाल की बिन्दी है।
भाषाओं की जान है, भारत का अरमान है।


आदित्य की ये रेशमी जुल्फ़ें हम सबसे क्या कह रही हैं?


और अंत में पढ़िए "सरस पायस" पर प्रकाशित मेरी एक शिशुकविता -

♥♥ कबूतर के चूज़े ♥♥

नन्हे-प्यारे
हैं ये चूज़े,
रखना इनका हरपल ध्यान!


♥♥ रावेंद्रकुमार रवि ♥♥

10 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

हरीश प्रकाश गुप्त की लघुकथा प्रतिबिम्ब, “मनोज” पर, पढिए!

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत अच्छी लगी आपकी यह सरस चर्चा----। शुभकामनायें।।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत प्यारी मनभावन चर्चा ..

रानीविशाल ने कहा…

बाल ब्लॉग जगत की मैं अभी नई नई नन्ही सदस्या बनी हूँ .....इतने सारे अच्छे अच्छे मित्रों से मुझे मिलवाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !

अनुष्का

rashmi ने कहा…

मनभावन शब्दों के साथ-साथ झाकियां भी सुंदर है..

Coral ने कहा…

धन्यवाद रविजी,
हमेशा कि तरह देरी से आई ...
बहुत सुन्दर चर्चा है ...

रंजन (Ranjan) ने कहा…

माधव के बाल चले गए.. अफसोस है... पर कमला स्टूडियो वाली फोटो याद के लिए अच्छी है..

ये सप्ताह काफी रंगीन रहा.. खुब कविताएं.. और चित्र.. मजा आ गया...

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत अच्छी चर्चा.... बच्चों के कई ब्लोग्स की जानकारी मिली...
मेरी पोस्ट की चर्चा के लिए आभार

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

हम बच्चों की तो आजकल धूम है...प्यारी-प्यारी चर्चा. सरस पायस की चर्चा आज के 'हिंदुस्तान' में भी.
_____________________________
'पाखी की दुनिया' - बच्चों के ब्लॉगस की चर्चा 'हिंदुस्तान' अख़बार में भी.

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

इस बढ़िया ख़बर की ख़बर देने के लिए
पाखी को बहुत-सा प्यार!
--
आप भी इस ख़बर को विस्तार से पढ़ सकते हैं!
ब्लॉग की क्रिएटिव दुनिया : भारत मल्होत्रा

Related Posts with Thumbnails

"सरस पायस" पर प्रकाशित रचनाएँ ई-मेल द्वारा पढ़ने के लिए

नीचे बने आयत में अपना ई-मेल पता भरकर

Subscribe पर क्लिक् कीजिए

प्रेषक : FeedBurner

नियमावली : कोई भी भेज सकता है, "सरस पायस" पर प्रकाशनार्थ रचनाएँ!

"सरस पायस" के अनुरूप बनाने के लिए प्रकाशनार्थ स्वीकृत रचनाओं में आवश्यक संपादन किया जा सकता है। रचना का शीर्षक भी बदला जा सकता है। ये परिवर्तन समूह : "आओ, मन का गीत रचें" के माध्यम से भी किए जाते हैं!

प्रकाशित/प्रकाश्य रचना की सूचना अविलंब संबंधित ईमेल पते पर भेज दी जाती है।

मानक वर्तनी का ध्यान रखकर यूनिकोड लिपि (देवनागरी) में टंकित, पूर्णत: मौलिक, स्वसृजित, अप्रकाशित, अप्रसारित, संबंधित फ़ोटो/चित्रयुक्त व अन्यत्र विचाराधीन नहीं रचनाओं को प्रकाशन में प्राथमिकता दी जाती है।

रचनाकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे "सरस पायस" पर प्रकाशनार्थ भेजी गई रचना को प्रकाशन से पूर्व या पश्चात अपने ब्लॉग पर प्रकाशित न करें और अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित न करवाएँ! अन्यथा की स्थिति में रचना का प्रकाशन रोका जा सकता है और प्रकाशित रचना को हटाया जा सकता है!

पूर्व प्रकाशित रचनाएँ पसंद आने पर ही मँगाई जाती हैं!

"सरस पायस" बच्चों के लिए अंतरजाल पर प्रकाशित पूर्णत: अव्यावसायिक हिंदी साहित्यिक पत्रिका है। इस पर रचना प्रकाशन के लिए कोई धनराशि ली या दी नहीं जाती है।

अन्य किसी भी बात के लिए सीधे "सरस पायस" के संपादक से संपर्क किया जा सकता है।

आवृत्ति