♥♥ आज सबसे पहले करते हैं यह प्रार्थना ♥♥
इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमजोर हो ना
डॉ. रूपचंद्र शास्त्री मयंक की यह प्यारी-सी शिशुकविता
सारा दूध नहीं दुह लेना,
झक पक छुक छुक
रेल चली भाई, रेल चली
"सरस पायस" के अनुरूप बनाने के लिए प्रकाशनार्थ स्वीकृत रचनाओं में आवश्यक संपादन किया जा सकता है। रचना का शीर्षक भी बदला जा सकता है। ये परिवर्तन समूह : "आओ, मन का गीत रचें" के माध्यम से भी किए जाते हैं!
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"सरस पायस" बच्चों के लिए अंतरजाल पर प्रकाशित पूर्णत: अव्यावसायिक हिंदी साहित्यिक पत्रिका है। इस पर रचना प्रकाशन के लिए कोई धनराशि ली या दी नहीं जाती है।
अन्य किसी भी बात के लिए सीधे "सरस पायस" के संपादक से संपर्क किया जा सकता है।
7 टिप्पणियां:
बच्चों के ब्लॉगों की करीने से सजी सरस चर्चा करने के लिए सरस पायस के सम्पादक रानेंद्रकुमार रवि का आभार!
सुंदर ...मनभावन...रोचक .बधाई हो बधाई . अच्छी चर्चा लगाई ।
सरस चर्चा करने के लिए सरस पायस के सम्पादक रानेंद्रकुमार रवि का आभार
कित्ती प्यारी चर्चा..मेरी सिस्टर की चर्चा के लिए लिए आभार और प्यार. बस ऐसे ही अपना प्यार देते रहिएगा.
बहुत सुंदर धन्यवाद
बहुत सुंदर चर्चा ..... मुझे शामिल करने के लिए आभार
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