शुक्रवार, फ़रवरी 04, 2011
गुड़िया मुस्कराने लगी : पूर्णिमा वर्मन की बालकहानी
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9 टिप्पणियां:
कहानी रोचक , कौतूहल से परिपूर्ण । ...और कानाबाती कुर्र की तरह एक संदेश भी ध्वनित करती हुई । लेखिका के साथ साथ आपको भी बधाई । कहानी बच्चोँ की प्रिय विधा है । आपने इस आवश्यकता को अनुभव किया ,निःसंदेह आप साधुवाद के सुपात्र हैँ ।
बहुत प्यारी मासूम सी कहानी ....
nice story
कित्ती प्यारी कहानी...अच्छी लगी.
बहुत सुंदर कहानी जी धन्यवाद
चलिए... नीलू की ख्वाहिश पूरी हुई... :)
ब्लॉग के साइडबार में नंदन पत्रिका का लिंक देख कर मन प्रसन्न हो गया.. एकदम से बचपन याद आ गया.. नंदन, चम्पक और सुमन सौरभ मेरे प्रिय पत्रिकाएं थी ... और लोटपोट भी, जिसमे काजल कुमार जी के कार्टून होते थे... :)
बहुत ही सहजता से प्रस्तुत की गई एक सुन्दर कथा!
शैली की दृष्टि से बहता इसका प्रवाह तो देखते ही बनता है!
सैयद साहब!
नीलू की ख़्वाहिश पूरी होना ही इस कहानी की
सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता है!
--
यही कारण है कि पहली कहानी के रूप में
इस कहानी को "सरस पायस" का साथ मिला!
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