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सोमवार, फ़रवरी 14, 2011

महक मेरा मन फूला : रावेंद्रकुमार रवि का नया बालगीत



महक मेरा मन फूला


मुझे प्यार है फूलों से, ये 
मुझसे करते प्यार!
झुलाऊँ इनको झूला!
झुलाऊँ इनको झूला!


इन्हें देखकर उड़ जाते हैं 
दुख के सभी पपीहे!
महके-महके मिल जाते हैं 
ख़ुशियों के उपहार!
महक मेरा मन फूला!
झुलाऊँ इनको झूला! 


इन्हें देख होती तितली ख़ुश 
भौंरे गाते झूमें! 
हँसते-हँसते बन जाते ये 
मेरे मन के हार! 
बना मन मेरा दूल्हा! 
झुलाऊँ इनको झूला!


 रावेंद्रकुमार रवि  
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♥♥ चित्र में हैं : सरस पायस व उनकी जेब पर लगा फूल ♥♥ 
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8 टिप्‍पणियां:

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

सुंदर बालगीत .....सरस भैया का फोटो बहुत क्यूट है....

Udan Tashtari ने कहा…

सुन्दर गीत!!

deepti sharma ने कहा…

sunder geet
..

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सुंदर बालगीत रचा है रविजी.........

डॉ. नागेश पांडेय संजय ने कहा…

बस , इतना ही कहूँगा - " क्या बात है जी ! "

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत खुब मुस्कुराहठ ओर उतनी ही सुंदर रचना

ममता त्रिपाठी ने कहा…

गुलाब पर एक गुलाब सी रचना................बहुत सुन्दर

Saba Akbar ने कहा…

सुंदर बालगीत!

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