मधुर कान में काली कोयल गाए मस्त मल्हार!
लदे बौर से पेड़ आम के मस्त हवा संग झूमें!
डॉ॰ नागेश पांडेय संजय
5 comments:
- अति सुंदर बालगीत। हमें भी फाल्गुन की सुध आई। बधाई।
- सुन्दर चित्रों के माध्यम से, रंग बिखेरे होली के। फागुन आया, संग में लाया, मधुर तराने होली के। सुन्दर बाल गीत में, सुन्दर-सुन्दर रंग भरे हैं। वाह-वाह लिखने को, सतरंगी अक्षर उभरे हैं।।
- " jitne sundr prakrtik chitr, utne hi sundr shabd....dil ko bha gye...behd mnmohak" regards
- ब्लॉगर creativekona ने कहा… भाई रावेन्द्र जी , डा.देशबंधु जी के साथ ही डा .नागेश जी का बालगीत ,इनके साथ ही आपके द्वारा खींचे गए फोटोग्राफ्स की जुगलबंदी ....कुल मिलाकर मन खुश हो गया .आपके कवि,लेखक से तो परिचित था .आज आपके अन्दर बैठे डिजाइनर से भी परिचय कर लिया .बहुत बहुत बधाई आपको एवं डा.देशबंधु और डा.नागेश जी को . हेमंत कुमार
- होली के प्राकृतिक रंगों से रंगी इस कविता ने हृदय को सराबोर कर दिया। उत्तम रचना के प्रकाशन हेतु सरस पायस को बधायी।