"सरस पायस" पर सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत है!

शुक्रवार, अप्रैल 16, 2010

लैपटॉप : अजय गुप्त का नया बालगीत

लैपटॉप
नई अटैची-जैसा आख़िर,
भालू दादा क्या ले आए?

मित्रो, यह तो लैपटॉप है,
कंप्यूटर का छोटा भाई।
जो कुछ भी है कंप्यूटर में,
इसमें भी वो हर अच्छाई।

बहुत कठिन से कठिन प्रश्न सब,
इस डिब्बे ने हैं सुलझाए।

इस डिब्बे में मीठे गाने,
चलते-फिरते चित्र मनोरम।
बटन दबाओ मॉनीटर पर,
हाज़िर हो जाता हर मौसम।

साइट खोलो, दुनिया-भर में,
क्या होता, मालुम हो जाए।

शिक्षा, औषधि, गणित, डिज़ाइन,
खेल, तमाशे, खाते, लेज़र
इसका सदुपयोग ही करना,
दुरुपयोग, जी करना नेवर।

माउस से कर्सर के द्वारा,
मॉनीटर पर सब कुछ आए।

अधिक देखने से आँखों पर,
बुरा असर पड़ता है भाई।
और व्यर्थ के गेम छोड़कर,
समय बचाना है चतुराई।

इसके अनियंत्रित प्रयोग को,
आवश्यक है रोका जाए।

पूरे जंगल की गतिविधियाँ,
हम तक आख़िर कैसे लाते?
भारी-भरकम कंप्यूटर को,
इधर-उधर कैसे ले जाते?

केवल यही ध्यान में रखकर,
शायद लैपटॉप ले आए।
रचनाकार : अजय गुप्त, चित्रकार : अरविंद राज

13 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

शायद लैपटॉप ले आए।


बहुत खूब, लाजबाब !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सबके मन को जो भाता है।
लैपटॉप वो कहलाता है।।
--
इसमें ज्ञान समाया सारा।
लैपटॉप लगता है प्यारा।।

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

इस डिब्बे में मीठे गाने,
चलते-फिरते चित्र मनोरम।
बटन दबाओ मॉनीटर पर,
हाज़िर हो जाता हर मौसम।
वाह---भालू जी को नया लैपटाप मुबारक हो----बहुत सुन्दर बाल गीत। अजय जी एवम अरविन्द राज जी दोनों लोगों को हार्दिक बधाई।

मनोज कुमार ने कहा…

इस कविता में सरलता और सहजता का अद्भुत सम्मिश्रण बरबस मन को आकृष्ट करता है।

हर्षिता ने कहा…

बहुत ही सुन्दर बाल गीत है,धन्यवाद।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

वाह...लैपटॉप के बारे में विस्तृत जानकारी देती हुई सुन्दर रचना..

माधव( Madhav) ने कहा…

भालू दादा बहुत प्यारे है ,बहुत खूब, लाजबाब

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

सुन्दर गीत.

दीनदयाल शर्मा ने कहा…

आपकी कविता बहुत अच्छी है...
एक अंतरा मेरी ओर से भी...

लैपटॉप मेरे मन को भाता,
गोद में रख कर इसे चलाता,
दुनिया भर का भरा है ज्ञान,
इसको पाकर बनें महान.

आदेश कुमार पंकज ने कहा…

बहुत ही सरस , सरल और शिक्षा प्रद बाल कविता है |
लैपटॉप की महिमा न्यारी ,
इसे जानता है हर प्राणी |
हर पल देता हमको ज्ञान ,
जीवन को कर दे आसान |
आदरणीय भाई अजय गुप्त जी को मेरा सादर प्रणाम और बहुत - बहुत बधाई , इसके साथ ही साथ भाई अरविन्द जी को सुंदर चित्रण के लिए साधुवाद |

डॉ. देशबंधु शाहजहाँपुरी ने कहा…

bhai ajay gupta ji ki sundar kavita ke liye unhe bahut bahut badhai aur bhai arvind ji ko sundar chitrakari ke liye bahut bahut badhai...

archna gupta desh ने कहा…

laptop bahut hi sundar rachna hai...bachcho ke man ko bahut bhaegi...

अरविंद राज ने कहा…

इस सुंदर प्रस्तुतीकरण में तो मेरा भालू और भी अच्छा लग रहा है। अजय भाई साहब का गीत तो अच्छा है ही।

Related Posts with Thumbnails

"सरस पायस" पर प्रकाशित रचनाएँ ई-मेल द्वारा पढ़ने के लिए

नीचे बने आयत में अपना ई-मेल पता भरकर

Subscribe पर क्लिक् कीजिए

प्रेषक : FeedBurner

नियमावली : कोई भी भेज सकता है, "सरस पायस" पर प्रकाशनार्थ रचनाएँ!

"सरस पायस" के अनुरूप बनाने के लिए प्रकाशनार्थ स्वीकृत रचनाओं में आवश्यक संपादन किया जा सकता है। रचना का शीर्षक भी बदला जा सकता है। ये परिवर्तन समूह : "आओ, मन का गीत रचें" के माध्यम से भी किए जाते हैं!

प्रकाशित/प्रकाश्य रचना की सूचना अविलंब संबंधित ईमेल पते पर भेज दी जाती है।

मानक वर्तनी का ध्यान रखकर यूनिकोड लिपि (देवनागरी) में टंकित, पूर्णत: मौलिक, स्वसृजित, अप्रकाशित, अप्रसारित, संबंधित फ़ोटो/चित्रयुक्त व अन्यत्र विचाराधीन नहीं रचनाओं को प्रकाशन में प्राथमिकता दी जाती है।

रचनाकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे "सरस पायस" पर प्रकाशनार्थ भेजी गई रचना को प्रकाशन से पूर्व या पश्चात अपने ब्लॉग पर प्रकाशित न करें और अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित न करवाएँ! अन्यथा की स्थिति में रचना का प्रकाशन रोका जा सकता है और प्रकाशित रचना को हटाया जा सकता है!

पूर्व प्रकाशित रचनाएँ पसंद आने पर ही मँगाई जाती हैं!

"सरस पायस" बच्चों के लिए अंतरजाल पर प्रकाशित पूर्णत: अव्यावसायिक हिंदी साहित्यिक पत्रिका है। इस पर रचना प्रकाशन के लिए कोई धनराशि ली या दी नहीं जाती है।

अन्य किसी भी बात के लिए सीधे "सरस पायस" के संपादक से संपर्क किया जा सकता है।

आवृत्ति