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10 टिप्पणियां:
सुबह-सुबह इसे देखकर मुँह में पानी आ गया!
अभी लाता हूँ एक दर्जन समोसे,
पूरे परिवार के लिए!
सुन्दर रचना पढ़कर तो यही कहूँगा!
वाह समोसा!
वाह समोसा!
बढ़िया शिशु गीत!!
वाह समोसा वाह समोसा
मजेदार कविता .......
भाई
मुह में पानी आ गया
डॉ . साहिब , मुंह में पानी भी आया और रूह भी खुश हुई !
.
वाह समोसा! वाह समोसा!!
किसके लिये गया परोसा.
खुद ही खा लोगे छिप करके?
देखा तुमने नहीं पड़ोसा.
उड़न तश्तरी उच्चारण ने
अरशद हलवाई को कोसा.
चैतन्य आरके मृतुन्जय को
मिल पायेगा .. नहीं भरोसा.
.
वाह समोसा वाह समोसा
भई वाह क्या बात है.
वाह जी वाह समोसा की सुंदर कविता ...बड़ी अच्छी लगी....
अच्छी बालकविता। समोसे पर एक पहेली याद आ रही है जो बचपन में हम एक दूसरे से पूछा करते थे- तीन पॉंव की तितली, नहा धोकर निकली।
आहा समोसा !
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