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12 टिप्पणियां:
आपकी ये रचना बहुत कुछ कहती है..चंद पंक्तियों में आपने हमारे समाज की पूर्ण मानसिकता का समावेश कर दिया है...क्या कभी बदलेगी हमारी ये मानसिकता? बेहतरीन लघुकथा संगीता जी
वाह क्या बात है...बहुत ही सुन्दर लघु कथा....काश सब बेटियों में वही लगन जाग जाए..
बढ़िया कथा...समाज में व्याप्त विसंगति ही है यह.
शिखा जी, मुझे विश्वास है -
"सबकी न सही,
पर कुछ लोगों की तो अवश्य बदलेगी -
ऐसी मानसिकता!"
यही कारण है -
"सरस पायस" पर इस लघुकथा के प्रकाशन का!
itne kam shabdo me itni ehem baat keh dena such me ek apne aap me bahut bada hunar hai...jo apki kalam me dikhayi deta hai.
aur hamare samaj ki mansikta darshati ek sudrad rachna jis se sambhav hai koi samvedansheel man parivartit ho.
badhayi.
समाज को आइना दिखाती इस लघुकथा के लिए
लेखिका संगीता स्वरूप जी को बधाई!
सरस पायस पर इसे प्रकाशित करने के लिए
रावेंद्रकुमार रवि जी का धन्यवाद!
badalti mansikta ki hi shuruaat hai yah kahani
गर देखा जाये तो हम लोग ही कहीं न कहीं लडकियों को आगे बढने से रोक लेते हैं हमारी नज़र मे केवल घर ही दिखता है लडकी के लिये। आपने इस कहानी के माध्यम से बहुत कुछ कह दिया । सुन्दर \ बधाई
प्रेरणात्मक लघु कथा।
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