उसकी मंजुल मूर्ति देखकर, मुझ में नवजीवन आया।।
केउ केउ का करता यह शोर।
"सरस पायस" के अनुरूप बनाने के लिए प्रकाशनार्थ स्वीकृत रचनाओं में आवश्यक संपादन किया जा सकता है। रचना का शीर्षक भी बदला जा सकता है। ये परिवर्तन समूह : "आओ, मन का गीत रचें" के माध्यम से भी किए जाते हैं!
प्रकाशित/प्रकाश्य रचना की सूचना अविलंब संबंधित ईमेल पते पर भेज दी जाती है।
मानक वर्तनी का ध्यान रखकर यूनिकोड लिपि (देवनागरी) में टंकित, पूर्णत: मौलिक, स्वसृजित, अप्रकाशित, अप्रसारित, संबंधित फ़ोटो/चित्रयुक्त व अन्यत्र विचाराधीन नहीं रचनाओं को प्रकाशन में प्राथमिकता दी जाती है।
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"सरस पायस" बच्चों के लिए अंतरजाल पर प्रकाशित पूर्णत: अव्यावसायिक हिंदी साहित्यिक पत्रिका है। इस पर रचना प्रकाशन के लिए कोई धनराशि ली या दी नहीं जाती है।
अन्य किसी भी बात के लिए सीधे "सरस पायस" के संपादक से संपर्क किया जा सकता है।
8 टिप्पणियां:
हिन्दी चिट्ठाकारी में बच्चों के ब्लॉगों की चर्चा
केवल 1-2 व्यक्ति ही तो करते हैं!
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सरस पायस पर तो बहुत मन से इनकी चर्चा की जाती है!
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फिर आप अपने मन की टिप्पणी देने में संकोच क्यो करते हैं!
bahut dino baad aayi bahcho ki ek sundar charhca...
aabhar.
कित्ती प्यारी चर्चा...मैं तो तितली बनकर यहाँ भी आ गई.
आज मैंने अपनी प्रोफाइल फोटो बदल कर नई फोटो लगाई है. आप बताइयेगा कि यह कैसी है.
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I love reading about lovely little angels.
with love,
Divya
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प्यारी चर्चा
कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान की कविता पढवाने का बहुत शुक्रिया...
सभी बच्चों का नए साल में क्या प्लान है... ??
हमेशा की ही तरह बहुत मनभावन चर्चा सजाई है मामासाब ....धन्यवाद !
अनुष्का
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