रविवार, अगस्त 08, 2010
तब तक-तब तक : डॉ. नागेश पांडेय संजय का एक शिशुगीत
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13 टिप्पणियां:
सुन्दर शिशुगीत ....
कब तक-कब तक?
जब तक-जब तक, तब तक-तब तक!
यह तो हमसे ही नहीं बोला जा रहा ...:)
संगीता जी,
शिशुओं को ऐसे वाक्यों को बोलने की कोशिश में
जो मज़ा आता है, वह अतुलनीय होता है!
--
जैसे -
बोलकर देखिए -
कच्चा पापड़-पक्का पापड़
लगातार आप कितने बार बोल सकती हैं?
बहुत ही सरल शब्दों सॆ रचा हुआ,
बच्चों के मन का गीत लगाया है!
जब तक-जब तक, तब तक-तब तक!
आज आदि को बताता हूं.. मजा आएगा...
यह तो बहुत अच्छा है...
कहो अँधेरा,
कब तक-कब तक?
हो ना जाए सुखद सवेरा,
जब तक-जब तक, तब तक-तब तक
shandaar
सुन्दर गीत
BAHUT SUNDAR GEET...BADHAI DR.NAGESH PANDEY JI...
AND RAVI JI...SUNDAR PRAKASHAN KE LIYE...
श्री "हेल्पिंग नेचर" (Shri"helping nature") की टिप्पणी का लिप्यांतरण -
शानदार
shandaar
डॉ. देशबंधु शाहजहाँपुरी की टिप्पणी का लिप्यांतरण -
बहुत सुंदर गीत...
BAHUT SUNDAR GEET...
बधाई डॉ. नागेश पांडेय जी...
BADHAI DR.NAGESH PANDEY JI...
एंड रवि जी...
AND RAVI JI...
सुंदर प्रकाशन के लिए...
SUNDAR PRAKASHAN KE LIYE...
माधव के जरिये यहाँ तक आया हूँ ,पत्रिका बहुत सुन्दर है
मथुरा से ई-मेल द्वारा भेजा गया संदेश -
डॉ. नागेश पांडेय की बालकविता
dr nagesh pandey ki bal kavita
सुंदर तरीक़े से लगाई है।
sunder tarike se lagaee hai.
साधुवाद।
sadhubad.
डॉ. दिनेश पाठक शशि
dr.dinesh pathak shashi
कहो अँधेरा,
कब तक-कब तक?
हो ना जाए सुखद सवेरा,
जब तक-जब तक, तब तक-तब तक
नयी आशा.....नयी शुरुआत......अच्छा लगा....
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