गुरुवार, अक्तूबर 28, 2010
लड्डू सबके मन को भाते : डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक" की शिशुकविता
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25 टिप्पणियां:
arey guru ji....
laddon ki poto dikhaa ke muh mein paani laa diyaa aapne subah subah...
khoobsurat kaavya ke saath meethi rachna!
wow my fouraite
बहुत सुन्दर...
"ला-जवाब" जबर्दस्त!!
muh me paani aa gya.....
सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…
अरे गुरु जी ...
arey guru ji ...
लड्डू की फ़ोटो दिखा के मुँह में पानी ला दिया आपने
laddon ki poto dikhaa ke muh mein paani laa diyaa aapne
शुभ-शुभ ...
subah subah ...
ख़ूबसूरत काव्य के साथ मीठी रचना!
khoobsurat kaavya ke saath meethi rachna!
भास्कर जी,
लड्डू तो 7 हैं और कमेंट मात्र 4!
ऐसा क्यों?
अरे, हमारा मन भी ललचा गया.
mera to 4 me bhi pet bhar gya................
देख के लड्डू ... बच्चों का मन ललचाये , बच्चे तो बच्चे हैं ...मास्टर भी दांत गडाए |
कविता मुझको समझ ना आयी ........कर रहा हूँ समझने की पढ़ाई !
देख के लड्डू ... बच्चों का मन ललचाये ,
बच्चे तो बच्चे हैं ...मास्टर भी दांत गडाए |
कविता मुझको समझ ना आयी ........कर रहा हूँ समझने की पढ़ाई !
तुम भी खाओ, हम भी खाएँ, लड्डू खाकर मौज़ मनाएँ!
जल्दी जल्दी भेज दीजिए हमरे पते पर चिन्मयी बहुत पसंद करती है इन्हें !
waah !
bahut swadisht aur madhur post !
बहुत ही बढ़िया कविता . लड्डू देख के मेरे मुह में पानी आ गया .अब तो मैं आज ही पापा से लड्डू मंगवा कर खाने वाला हूँ .
लड्डू बहुत मीठे स्वादिष्ट हैं मंयक जी और आपको बधाई इस सुन्दर रचना के लिये।
बहुत ही बढ़िया कविता .
अरे वाह लड्डू ......
अरे अरे काहे को ललचा रहे हे,
इतनी सुन्दर प्रस्तुति है कि शब्द नहीं मिल रहे सिवाय मिठास के .....बधाई ।
बहुत मीठी सी प्रस्तुति ...
"लड्डू सबके मन को भाते"
--
तभी तो इसकी चर्चा यहाँ की है-
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/10/26.html
अरे वाह लड्डू ! मुह में पानी आ गया ....
बच्चों की एक मात्र बालपत्रिका "सरस पायस" पर आकर आपने मेरी यह शिशु कविता पसंद की
इसके लिए मैं सभी टिप्पणीदाताओं का
आभार व्यक्त करता हूँ!
सिर्फ़ देखते रहें या भिजवाएंगे भी....?
लड्डू .......यम यम यम ...
___________
मेरे ब्लॉग पर -
Trick or Treat .......................
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