"सरस पायस" पर सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत है!

मंगलवार, नवंबर 02, 2010

रेत के इस कैनवस पर क्या बनाऊँ : सरस चर्चा (19)

इस बार सबसे पहले सरस पायस की तरफ हो रही है लड्डुओं की दावत!
ये स्वादिष्ट लड्डू भिजवाए गए हैं : डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक" द्वारा!
- इस मनभावन कविता के साथ -

तुम भी खाओ, हम भी खाएँ,
लड्डू खाकर मौज़ मनाएँ!


रेत के इस कैनवस पर क्या बनाऊँ?
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के एक द्वीप पर बैठी पाखी सोच रही है!


उसके सुंदर मन से निकलकर सजी इस कला से
आप भी अपने मन को सजा सकते हैं!


माधव की जुल्फ़ें अब धीरे-धीरे आ रही हैं!


और आदित्य की जुल्फ़ें कल जा रही हैं!


पंखुरी की दो दंतुरियाँ आ गई हैं!


और चुलबुल की दो दंतुरियाँ जाकर फिर से आ गई हैं!


अनुष्का दीवाली मनाने भारत आ गई है!


और अमेरिका की बातें बता रही है!


चॉकलेट खाकर किसी का मुँह ऐसा हो जाता है क्या?


हेलोवीन मनाने की ख़ुशी!


और इस ख़ुशी में परी बन जाना! अनुष्का की हर अदा निराली है!


अब ज़रा बताइए तो कैसी लग रही हूँ मैं? डर गए न आप?


जो इस मुखौटे के पीछे है, उसने यह कलाकारी भी की है!


और अब इनकी कलाकारी भी देख लीजिए! इनका कहना है -
मैं हूँ स्पाइडर.....! क्या आपको मुझसे डर लगा... ?
मैंने स्पाइडर बनकर सबको डराने की कोशिश की,
लेकिन कोई डरा ही नहीं...... सब मुझे
सो क्यूट....... सो क्यूट..... कह रहे थे .... पता नहीं क्यों....?


नन्हे सुमन पर पढ़िए मयंक जी की एक और सुंदर कविता -
इन्हे नहीं कहना बाहर के। संगी-साथी ये घर-भर के।।

- अंत में एक गीत मेरा भी गुनगुना लीजिए! प्यार से -

बिल्कुल नया बनाया है


देखो, देखो, देखो, देखो,
मैंने चित्र बनाया है!
इसमें रंग सजीले भरकर,
इसको ख़ूब सजाया है!
------------------------------------------------------------------------------
रावेंद्रकुमार रवि
------------------------------------------------------------------------------

10 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

आप ओर आप के परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

रानीविशाल ने कहा…

बहुत सुन्दर सरस चर्चा, मामासाब.....सपरिवार प्रकाश प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ !!
अनुष्का

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

बहुत सुंदर चर्चा... रवि अंकल.... मुझ स्पाइडर को शामिल करने के लिए...धन्यवाद....
दिवाली की शुभकामनायें

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सरस पायस हो या नन्हे सुमन!
इनमें तो हैं हम ही हम!
--
सरस चर्चा वास्तव में सुन्दर है!
--
आपका श्रम सराहनीय है!

Coral ने कहा…

सर्पयास हमेशा ही मीठी मीठी चर्चा लाता है!
आप सब को दीपावली कि शुभकामनाये ......

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

कोरल जी की टिप्पणी में
सर्पयास को "सरस पायस" पढ़ने का अनुरोध है!

माधव( Madhav) ने कहा…

बहुत सुंदर चर्चा, आप ओर आप के परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत मनभावन चर्चा

रंजन ने कहा…

सुन्दर चर्चा!! धन्यवाद....

Coral ने कहा…

ओह हो.... माफ़ी चाहते है ...

Related Posts with Thumbnails

"सरस पायस" पर प्रकाशित रचनाएँ ई-मेल द्वारा पढ़ने के लिए

नीचे बने आयत में अपना ई-मेल पता भरकर

Subscribe पर क्लिक् कीजिए

प्रेषक : FeedBurner

नियमावली : कोई भी भेज सकता है, "सरस पायस" पर प्रकाशनार्थ रचनाएँ!

"सरस पायस" के अनुरूप बनाने के लिए प्रकाशनार्थ स्वीकृत रचनाओं में आवश्यक संपादन किया जा सकता है। रचना का शीर्षक भी बदला जा सकता है। ये परिवर्तन समूह : "आओ, मन का गीत रचें" के माध्यम से भी किए जाते हैं!

प्रकाशित/प्रकाश्य रचना की सूचना अविलंब संबंधित ईमेल पते पर भेज दी जाती है।

मानक वर्तनी का ध्यान रखकर यूनिकोड लिपि (देवनागरी) में टंकित, पूर्णत: मौलिक, स्वसृजित, अप्रकाशित, अप्रसारित, संबंधित फ़ोटो/चित्रयुक्त व अन्यत्र विचाराधीन नहीं रचनाओं को प्रकाशन में प्राथमिकता दी जाती है।

रचनाकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे "सरस पायस" पर प्रकाशनार्थ भेजी गई रचना को प्रकाशन से पूर्व या पश्चात अपने ब्लॉग पर प्रकाशित न करें और अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित न करवाएँ! अन्यथा की स्थिति में रचना का प्रकाशन रोका जा सकता है और प्रकाशित रचना को हटाया जा सकता है!

पूर्व प्रकाशित रचनाएँ पसंद आने पर ही मँगाई जाती हैं!

"सरस पायस" बच्चों के लिए अंतरजाल पर प्रकाशित पूर्णत: अव्यावसायिक हिंदी साहित्यिक पत्रिका है। इस पर रचना प्रकाशन के लिए कोई धनराशि ली या दी नहीं जाती है।

अन्य किसी भी बात के लिए सीधे "सरस पायस" के संपादक से संपर्क किया जा सकता है।

आवृत्ति