मंगलवार, नवंबर 16, 2010
आवाज़ निकालो : महेंद्र भट्ट की शिशुकविता
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4 टिप्पणियां:
चुटकुला तो बहुत बढ़िया रहा!
--
प्रांजल की छवि बहुत अच्छी है!
न "स्वा:हा!",न आ: हा!,हमने किया बस वाह! वाह
कविता पढ़ कर मेरे मुंह से निकला ---वाह वाह---महेन्द्र जी को शुभकामनायें---ऐसे ही लिखते रहें।
वाह मजेदार....
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