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गुरुवार, जून 16, 2011

वेबकैम की शान निराली : सरस चर्चा (३६)

आज सबसे पहले पता करते हैं कि 
चुलबुल ने उगते हुए सूरज के साथ और क्या-क्या देखा! 


अब पता करते हैं कि लविज़ा ने 
आइसक्रीम खाते हुए किसका और कौन-सा गीत गुनगुनाया!

Laviza

अब चलते हैं नेशनल ज्योग्रेफिक डॉट कॉम की सैर करने! 
यहाँ आपको मिलेंगे ऐसे प्यारे-प्यारे बहुत से फ़ोटो! 

Photo: Family of whooper swans in tall grass

इसके बाद पढ़ते हैं वेबकैम पर रची गई एक अनोखी रचना! 
इसके रचनाकार हैं : डॉ. रूपचंद्र शास्त्री मयंक! 

वेबकैम की शान निराली, करता घर-भर की रखवाली! 


कैलाश सी शर्मा की यह कविता भी कुछ कम नहीं है! 

दो खरगोश भागकर आए, बोले कुत्तों से हमें बचाओ!


बाल-मंदिर में बचपन की मधुर याद करा रही है, 
डॉ. सुरेंद्र विक्रम की यह ग़ज़ल!

क्या मज़े थे, नर्सरी के दिन! उन दिनों की याद आई, क्या करें? 


रिमझिम छुट्टियाँ मनाने के लिए चली गई है! 
मीठी-मीठी यादें लेकर आएगी!


पाखी भी सुंदर यादों का खजाना बटोरने के लिए घूमने गई है! 


मिट्टी में खेलने का मज़ा ही कुछ और है!
आदित्य को मिट्टी खेलने के लिए किसने लाकर दी? 


कुहू भी कुछ मज़ेदार समाचार सुना रही है!


नन्ही परी की मस्ती देखे बिना तो मज़ा अधूरा ही रह जाएगा!


अंत में सरस पायस पर पढ़िए मेरी यह कविता!

ऐसी ख़ुशी मिली मुझको 


भौंरे और मधुमुखी ने 
उसको मधु सुर में गीत सुनाए! 
जिनसे सरस हुआ ख़ुश हो 
वह भी नाचा पंखुरी उठाए!


रावेंद्रकुमार रवि

7 टिप्‍पणियां:

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

सभी दोस्तों के ब्लोग्स की सुंदर चर्चा...... सुंदर चित्र

रंजन (Ranjan) ने कहा…

its refreshing!!

हिंदी में लिखना था... तरोताजा कर देने वाली चर्चा....

Arvind Mishra ने कहा…

वाह भाई वाह

Kashvi Kaneri ने कहा…

मेरे सभी दोस्तों के ब्लोग्स की सुंदर चर्चा और उन की प्यारी प्यारी फोटॊस भी ...अच्छा लगा....

डॉ. नागेश पांडेय संजय ने कहा…

सराहनीय चर्चा .

खास कर ... शाष्त्री जी ने "वेबकैम " जैसे विषय पर पहली बार पर कविता लिखकर यह सिद्ध कर दिया है कि काव्य जगत में उनका कोई सानी नहीं .

Shubham Jain ने कहा…

नटखट बच्चो की प्यारी सी नटखट चर्चा बहुत अच्छी लगी....
साभार.

Kailash Sharma ने कहा…

बच्चों के बीच आना जीवन को एक तरोताज़गी दे जाता है..बहुत रोचक और मनोहारी चर्चा..

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