"सरस पायस" पर सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत है!

शनिवार, फ़रवरी 12, 2011

पाखी की रंजनाओं के साथ रवि की शिशुकविताएँ

-----------------------------------------------------------
जब "सरस पायस" के लिए
पाखी ने अपनी रंजनाएँ (पेंटिंग्स) भेजी थीं,
तब बहुत कोशिश करने पर भी मैं कुछ नहीं रच पाया था!
लेकिन इस बार की रंजनाएँ देखते ही
मेरा मन-मस्तिष्क खिल उठा और हर रंजना के लिए
एक-एक कविता मुस्कराने लगी!
-----------------------------------------------------------
सुंदर-सा पालना बनाया
-----------------------------------------------------------

आइसक्रीम सूँघकर मुर्गा,
बोला - "कैसे खाऊँगा?
गला ख़राब हो गया यदि तो,
कैसे बाँग लगाऊँगा?"
-----------------------------------------------------------
सूरज निकला, फूल खिल गया,
बोला - "चिड़िया, गाओ!
जिद छोड़ो, तुम गुड़िया रानी,
तुम भी अब मुस्काओ!"
-----------------------------------------------------------
अंतरिक्ष से उड़कर आए,
कुछ अजीब-से लोग!
उन्हें देखकर तन्वी नाची,
नाचे वे सब लोग!

-----------------------------------------------------------
सुंदर-सा पालना बनाया,
झूल रही पाखी की बहना!
जैसे झूले मेरे घर पर,
झूम-झूमकर प्यारी नयना!
-----------------------------------------------------------
-----------------------------------------------------------
चित्र : अक्षिता पाखी कविताएँ : रावेंद्रकुमार रवि
-----------------------------------------------------------

10 टिप्‍पणियां:

डॉ. नागेश पांडेय संजय ने कहा…

शिवा को सराहूँ या सराहूँ छत्रशाल को ? पाखी के प्यारे चित्रोँ पर आपकी मँजी हुई कलम का कमाल . वाह ! आप दोनोँ को बधाइयाँ ।

बेनामी ने कहा…

चित्रों की भाषा समझकर रचना लिखना सबके बस की बात नहीं है!
--
आपने तो इन चित्रावलियों को जीवन्त ही नही किया अपितु इनको स्वर भी दे दिया है!

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत ही सुंदर चित्र, ओर कविता भी मजेदार चित्रो से मिलती जुलती, बहुत बहुत प्यार पाखी बिटिया को

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

बहुत सुंदर कविता ....पाखी के ड्राइंग भी प्यारे हैं....

KK Yadav ने कहा…

बहुत खूब रवि जी, आपने तो इस बार वाकई पाखी की ड्राइंग पर एक से बढ़कर एक सुन्दर गीत रचे..बधाई.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

रवि अंकल,
आपको इन प्यारे-प्यारे शिशु गीतों के लिए ढेर सारा प्यार और आभार. आपने तो मेरी ड्राइंग पर ये शिशु-गीत लिखकर इन्हें और भी सुन्दर बना दिया है.

Akanksha Yadav ने कहा…

बहुत खूब....इक से बढ़कर इक..बधाई !!

Unknown ने कहा…

पाखी के चित्रों की बात ही अलग है. फिर आखिर 'रवि' मन क्यों ना मचले इन पर कवितायेँ लिखने के लिए..पाखी और रवि जी दोनों को हार्दिक बधाइयाँ.

Unknown ने कहा…

हमें तो सबसे ज्यादा ये पसंद आईं---

आइसक्रीम सूँघकर मुर्गा,
बोला - "कैसे खाऊँगा?
गला ख़राब हो गया यदि तो,
कैसे बाँग लगाऊँगा?"

Amit Kumar Yadav ने कहा…

सुंदर-सा पालना बनाया,
झूल रही पाखी की बहना!
जैसे झूले मेरे घर पर,
झूम-झूमकर प्यारी नयना!

मासूमियत से भरी सुन्दर रचना. पाखी के चित्रों को देखकर तो उस पर खूब प्यार आता है..शुभकामनायें.

Related Posts with Thumbnails

"सरस पायस" पर प्रकाशित रचनाएँ ई-मेल द्वारा पढ़ने के लिए

नीचे बने आयत में अपना ई-मेल पता भरकर

Subscribe पर क्लिक् कीजिए

प्रेषक : FeedBurner

नियमावली : कोई भी भेज सकता है, "सरस पायस" पर प्रकाशनार्थ रचनाएँ!

"सरस पायस" के अनुरूप बनाने के लिए प्रकाशनार्थ स्वीकृत रचनाओं में आवश्यक संपादन किया जा सकता है। रचना का शीर्षक भी बदला जा सकता है। ये परिवर्तन समूह : "आओ, मन का गीत रचें" के माध्यम से भी किए जाते हैं!

प्रकाशित/प्रकाश्य रचना की सूचना अविलंब संबंधित ईमेल पते पर भेज दी जाती है।

मानक वर्तनी का ध्यान रखकर यूनिकोड लिपि (देवनागरी) में टंकित, पूर्णत: मौलिक, स्वसृजित, अप्रकाशित, अप्रसारित, संबंधित फ़ोटो/चित्रयुक्त व अन्यत्र विचाराधीन नहीं रचनाओं को प्रकाशन में प्राथमिकता दी जाती है।

रचनाकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे "सरस पायस" पर प्रकाशनार्थ भेजी गई रचना को प्रकाशन से पूर्व या पश्चात अपने ब्लॉग पर प्रकाशित न करें और अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित न करवाएँ! अन्यथा की स्थिति में रचना का प्रकाशन रोका जा सकता है और प्रकाशित रचना को हटाया जा सकता है!

पूर्व प्रकाशित रचनाएँ पसंद आने पर ही मँगाई जाती हैं!

"सरस पायस" बच्चों के लिए अंतरजाल पर प्रकाशित पूर्णत: अव्यावसायिक हिंदी साहित्यिक पत्रिका है। इस पर रचना प्रकाशन के लिए कोई धनराशि ली या दी नहीं जाती है।

अन्य किसी भी बात के लिए सीधे "सरस पायस" के संपादक से संपर्क किया जा सकता है।

आवृत्ति