-----------------------------------------------------------
जब "सरस पायस" के लिए
पाखी ने अपनी रंजनाएँ (पेंटिंग्स) भेजी थीं,
तब बहुत कोशिश करने पर भी मैं कुछ नहीं रच पाया था!
लेकिन इस बार की रंजनाएँ देखते ही
मेरा मन-मस्तिष्क खिल उठा और हर रंजना के लिए
एक-एक कविता मुस्कराने लगी!
-----------------------------------------------------------
सुंदर-सा पालना बनाया
-----------------------------------------------------------
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEicQRHDqLz7omAVOMz9v-ebkeosh4jxQXcd3Nms7xML44Ee_GgVWKxX1B3KQ2IJdNLwgV-HGveE5br9ZCZfhlNDLkpF8IG5u5VA5V2dhqu0NKtb_Ci4g9CGcwPgNDGjeTEP5M7rQeEBgLUE/s400/Paakhee_101.jpg) |
आइसक्रीम सूँघकर मुर्गा, बोला - "कैसे खाऊँगा? गला ख़राब हो गया यदि तो, कैसे बाँग लगाऊँगा?" ----------------------------------------------------------- |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEioO3jHGx3hboka7n3KwQXqJRA6S3V4T1KeqmxifLETAmM90nmRWNMI-nxBw93nd7RpPs7VACZVlRVAa66s1E2gfw3uwJhrU02llVddxH0XCxhadnD31myOsmWz5G4EtfQrcoFg21pyPIFC/s400/Paakhee_102.jpg) |
सूरज निकला, फूल खिल गया, बोला - "चिड़िया, गाओ! जिद छोड़ो, तुम गुड़िया रानी, तुम भी अब मुस्काओ!" ----------------------------------------------------------- |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjlQkp6oVFO_KjyzKwFLXDdYYi-38Yn1XPMPHZhukagWjZaQxOVOwh3_PYuhacwQP4-FM4D9fbyp-9dyK9U5BzxVf1dylrDYLEcfGDx27A5NiXrYz3aZuEye2yQpM_WJutVR7U_zBrcgKhS/s400/Paakhee_103.jpg) |
अंतरिक्ष से उड़कर आए,
कुछ अजीब-से लोग!
उन्हें देखकर तन्वी नाची,
नाचे वे सब लोग!
----------------------------------------------------------- |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhnv2OzjYGxaU-jI95S-0DHXeJ2k2r7j75wH0S-yv4vHwU3s4XqZRIyM-gjVBywhJSVK5YK0QLkTs091M8yYYUZncqg68vKqvB9y704-bE1U1MTY0N4iZ9jR8vFsUz9xJtA-zi7ALZ5QcI/s400/pakhi47.jpg) |
सुंदर-सा पालना बनाया,
झूल रही पाखी की बहना!
जैसे झूले मेरे घर पर,
झूम-झूमकर प्यारी नयना!
----------------------------------------------------------- |
-----------------------------------------------------------
चित्र : अक्षिता पाखी ♥♥♥ कविताएँ : रावेंद्रकुमार रवि
-----------------------------------------------------------
10 टिप्पणियां:
शिवा को सराहूँ या सराहूँ छत्रशाल को ? पाखी के प्यारे चित्रोँ पर आपकी मँजी हुई कलम का कमाल . वाह ! आप दोनोँ को बधाइयाँ ।
चित्रों की भाषा समझकर रचना लिखना सबके बस की बात नहीं है!
--
आपने तो इन चित्रावलियों को जीवन्त ही नही किया अपितु इनको स्वर भी दे दिया है!
बहुत ही सुंदर चित्र, ओर कविता भी मजेदार चित्रो से मिलती जुलती, बहुत बहुत प्यार पाखी बिटिया को
बहुत सुंदर कविता ....पाखी के ड्राइंग भी प्यारे हैं....
बहुत खूब रवि जी, आपने तो इस बार वाकई पाखी की ड्राइंग पर एक से बढ़कर एक सुन्दर गीत रचे..बधाई.
रवि अंकल,
आपको इन प्यारे-प्यारे शिशु गीतों के लिए ढेर सारा प्यार और आभार. आपने तो मेरी ड्राइंग पर ये शिशु-गीत लिखकर इन्हें और भी सुन्दर बना दिया है.
बहुत खूब....इक से बढ़कर इक..बधाई !!
पाखी के चित्रों की बात ही अलग है. फिर आखिर 'रवि' मन क्यों ना मचले इन पर कवितायेँ लिखने के लिए..पाखी और रवि जी दोनों को हार्दिक बधाइयाँ.
हमें तो सबसे ज्यादा ये पसंद आईं---
आइसक्रीम सूँघकर मुर्गा,
बोला - "कैसे खाऊँगा?
गला ख़राब हो गया यदि तो,
कैसे बाँग लगाऊँगा?"
सुंदर-सा पालना बनाया,
झूल रही पाखी की बहना!
जैसे झूले मेरे घर पर,
झूम-झूमकर प्यारी नयना!
मासूमियत से भरी सुन्दर रचना. पाखी के चित्रों को देखकर तो उस पर खूब प्यार आता है..शुभकामनायें.
एक टिप्पणी भेजें