हम पानी का जहाज उगाते हैं, जो समुद्र पार करेगा।
हम मस्तूल उगाते हैं, जिस पर पाल बँधेगी।
हम वे फट्टे उगाते हैं,
जो हवा के थपेड़ों का सामना करेंगे।
जहाज का तला, शहतीर, कोहनी,
हम पानी का जहाज उगाते हैं, जब पेड़ लगाते हैं।
हम क्या उगाते हैं, जब पेड़ लगाते हैं?
हम अपने और तुम्हारे लिए एक घर उगाते हैं।
हम बल्लियाँ, पटिए और फर्श उगाते हैं।
हम खिड़की, रोशनदान और दरवाज़े उगाते हैं।
हम छत के लट्ठे, शहतीर
और उसके तमाम हिस्से उगाते हैं।
हम घर उगाते हैं, जब पेड़ लगाते हैं।
हम क्या उगाते हैं, जब पेड़ लगाते हैं?
ऐसी हज़ारों चीज़ें, जो हम हर दिन देखते हैं।
हम गुंबद से भी ऊपर आनेवाले शिखर उगाते हैं।
हम अपने देश का झंडा फहरानेवाला स्तंभ उगाते हैं।
सूरज की गर्मी से छाया मानो मुफ़्त ही उगाते हैं।
हम यह सब उगाते हैं, जब पेड़ लगाते हैं।
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चकमक से साभार : कबीर बाजपेयी द्वारा अनूदित हेनरी एबे की अँगरेज़ी कविता
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8 टिप्पणियां:
जी हॉ सभी कुछ तो हमें पेड़ से मिलता है यही नही दवाईया भी पेड़ पौधो कि ही देन है । हमें इन्हे बढाना होगा ।
जैसे पित्र धर्म होता है और पुत्र धर्म होता है वैसे हमें पेड़ धर्म भी बनाना चाहिए हम जीवन भर इनसे कुछ न कुछ लेते रहते है, हमें भी जीवन में कुछ पेड़ अवश्य ही लगाने चाहिए ।
very interesting and informatives composition
अच्छी प्रस्तुति।
बहुत बढ़िया अनुवाद!
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किशोरों के लिए बहुत उपयोगी!
बच्चों, बड़ों सभी के लिये उपयोगी और सन्देशपरक रचना।
ये तो बहुत बढ़िया है...
माधव जी की टिप्पणी का हिंदी अनुवाद -
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बहुत रुचिकर और सूचनाप्रद संयोजन!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...और उपयोगी....पेड़ से क्या क्या मिलता है इसकी अच्छी जानकारी दी है....
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