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11 टिप्पणियां:
बड़ी मीठी और ठंडी कविता है, आइसक्रीम की तरह :)
अब इतनी रात को ..! कहाँ मिलेगी आइसक्रीम..! शाम होती तो खाकर फिर ब्लॉग देखता.
अरे रे, एक आत्मा के मुँह से ऐसी बातें अच्छी नहीं लगतीं!
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आप तो कहीं भी जाकर, कहीं भी घुस सकते हैं!
मन कर आया अब तो आईसक्रीम खाने का इतनी बढ़िया कविता पढ़कर.
वाह.....इतनी भीषण गर्मी में यह कविता पढ़ कर ठंडक महसूस हो रही है...और चित्र दिखा कर तो और ललचा रहे हैं आप...
सरस पायस का नया कलेवर आकर्षक लगा .
अरे वाह कितने प्रकार की आईस चाकलेट, पिस्ता, वनिले, स्टाबरी ओर किंबी बहुत मजे दार जी ओर इन सब का मजा आ गया आप की कविता मै. धन्यवाद
Mouthwatering post, Yummy
अब तो मेरा भी मन ललचा गया..मैं तो चली आइसक्रीम खाने.
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'पाखी की दुनिया' में 'पाखी का लैपटॉप' !
मुंह में पानी आ रहा है।
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क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।
रोचक है.बड़ा मजा आया
बहुत सुन्दर आइसक्रीम और गीत ....
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