सच कहा तुमने -
कमल कीचड़ में भी खिलते हैं!
कल ही
शहर की गंदी बस्ती में
मैंने देखे थे -
कमल के कुछ झुंड!
सचमुच, बहुत प्यारे थे -
वे सारे बच्चे!
बिल्कुल कमल के फूलों-जैसे!
नीलेश माथुर |
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5 टिप्पणियां:
वाकई ........
सचमुच, बहुत प्यारे थे -
वे सारे बच्चे!
बिल्कुल कमल के फूलों-जैसे!
सहमत है जी आप से, बहुत सुंदर चित्र धन्यवाद
बच्चे तो खिलते कमल ही है ,सुन्दर
सुन्दर कविता . प्रेरक भी
बहुत सुन्दर गीत...और चित्र भी प्यारे-प्यारे.
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'पाखी की दुनिया ' में बारिश और रेनकोट...Rain-Rain go away..
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