हैं मुर्गी के बच्चे।
रंग दूधिया-सा है इनका,
दिखते कितने अच्छे।
मिलकर रहते संग सभी ये,
झगड़ा कभी न करते।
भूख लगे तो बहुत मज़े से,
दाना चुगने लगते।
सुबह-सुबह जल्दी उठ जाते,
जल में ख़ूब नहाते।
जब तक इनका बचपन रहता,
ये चूज़े कहलाते।
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10 टिप्पणियां:
सची मै बहुत प्यारे है जी आप की कविता की तरह से.
धन्यवाद
बहुत प्यारा गीत ...
बहुत सुन्दर कविता
aadi ko bhi bahut pasand hai chuje.. delhi main kabutar ke bachche khub dekhtaa thaa....
see this post. http://aadityaranjan.blogspot.com/2009/03/blog-post_20.html
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
BAHUT PYARE PHOTO HAI..AUR BAHUT PYARI RACHNA BHI..BAHUT BAHUT BADHAI...
कित्ते प्यारे-प्यार चूजे...मन खुश हो गया देखकर.
एक संदेश ई-मेल से -
यस आज कल मुर्गी के बच्चे ही अच्छे लगते हैं।
YES AAJ KAL MURGI KE BACHCHE HI ACHCHE LAGTE H.
रमेश सचदेव
RAMESH SACHDEVA
रंजन (Ranjan) की टिप्पणी का लिप्यांतरण -
आदि को भी चूज़े बहुत पसंद हैं..
aadi ko bhi bahut pasand hai chuje..
दिल्ली में कबूतर के बच्चे ख़ूब देखता था....
delhi main kabutar ke bachche khub dekhtaa thaa....
डॉ. देशबंधु शाहजहाँपुरी की टिप्पणी का लिप्यांतरण -
बहुत प्यारे फ़ोटो हैं..
BAHUT PYARE PHOTO HAI..
और बहुत प्यारी रचना है..
AUR BAHUT PYARI RACHNA BHI..
बहुत बहुत बधाई...
BAHUT BAHUT BADHAI...
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