गुरुवार, नवंबर 04, 2010
नृत्य कर उठे : रावेंद्रकुमार रवि की बालकविता
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6 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर!
--
प्रेम से करना "गजानन-लक्ष्मी" आराधना।
आज होनी चाहिए "माँ शारदे" की साधना।।
--
आप खुशियों से धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!
बहुत सुंदर और प्यारी कविता.... आपको दिवाली की शुभकामनायें....सादर
बहुत सुन्दर ...दीपावली कि शुभकामनये !
दीवाली की शुभकामनाये
आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामाएं
प्रेम से करना "गजानन-लक्ष्मी" आराधना।
आज होनी चाहिए "माँ शारदे" की साधना।।
अपने मन में इक दिया नन्हा जलाना ज्ञान का।
उर से सारा तम हटाना, आज सब अज्ञान का।।
आप खुशियों से धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!
--
आपकी प्यारी सी पोस्ट की चर्चा
बाल चर्चा मंच पर भी है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/11/27.html
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