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झूम-झामकर, धूमधाम से
हमको गले लगाओ ना!
बरखा रानी, आओ ना!
भूल गईं जो मीठी बतियाँ,
उन चिड़ियाओं की बोली में
कुछ मिठास भरवाओ ना!
बरखा रानी, आओ ना!
छुपा रखी थी जो स्वरलहरी,
पत्तों पर गिर-गिरकर हमको
फिर से वही सुनाओ ना!
बरखा रानी, आओ ना!
इंद्रधनुष के रंगोंवाला,
बूँदों का तुम वही बिछौना
धरती पर बिछवाओ ना!
बरखा रानी, आओ ना!
11 टिप्पणियां:
बहुतशू ंदर बाल गीत जी धन्यवाद
बहुत सुन्दर बालगीत....
बहुत अच्छी लगी आपकी यह रचना..अब तो बारिश को आ ही जाना चाहिए.
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'पाखी की दुनिया' में स्कूल आज से खुल गए...आप भी देखिये मेरा पहला दिन.
बहुत प्यारी बाल कविता..बधाई.
सुन्दर बाल गीत । हम भी बरखा रानी का इन्तजार कर रहे हैं। बधाई
बढ़िया बाल-गीत के लिए शुभकामनाएँ!
भाई रवि,दो बातों के लिये---एक,बारिश की बौछारों की तरह कविताएं रचे जारहे हो ।और दो ,उनमें कल्पनाओं के इन्द्रधनुष भी नजर आरहे हैं --मुझे बार-बार प्रशंसा करनी होगी । यूँ ही लिखते रहो ।
गिरिजा कुलश्रेष्ठ
आज आपका सक्रियता क्रमांक 81 है!
बहुत हीं अच्छी कविता लगी |
बरखा रानी आ जाओ ना ...
बहुत हीं सुन्दर बाल गीत .
बहुत हीं अच्छी कविता लगी |
बरखा रानी आ जाओ ना ...
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