अपनी बाँसुरिया की धुन!
सोमवार, सितंबर 06, 2010
कान्हा मेरे मन का मीत : सरस चर्चा (12)
अपनी बाँसुरिया की धुन!
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7 टिप्पणियां:
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
हिन्दी का प्रचार राष्ट्रीयता का प्रचार है।
हिंदी और अर्थव्यवस्था, राजभाषा हिन्दी पर, पधारें
बहुत सुन्दर चर्चा
वाह !! बहुत सुन्दर चर्चा...
.. उधर माधव जी का मुंडन हो गया.. बड़े प्यारे लग रहे हैं.. :)
इन अबोध, मासूम चेहरों को द्ख कर मन प्रफुल्लित हो गया। बहुत अच्छी चर्चा। साधुवाद।
देसिल बयना-खाने को लाई नहीं, मुँह पोछने को मिठाई!, “मनोज” पर, ... रोचक, मज़ेदार,...!
माधव का वोवाला फ़ोटो भी देख ही लीजिए!
रवि जी आज तो मन अति प्रसन्न हुआ सभी बच्चों को देखकर. और माधव जी को मैने और भी खुबसूरत अंदाज़ में आखिर देख ही लिया. आदित्य के ब्लॉग "बच्चों की दुनिया" के जिक्र के लिए आपको शुक्रिया.
हम बच्चों की प्यारी चर्चा...रवि अंकल को प्यार और आभार.
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