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यह कहते हुए डॉ. देशबंधु शाहजहाँपुरी ने अपना नया
संदेशात्मक बालकविता-संग्रह नन्हे दोस्तों को समर्पित किया है!
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इस संग्रह में विभिन्न विषयों पर उनकी 25 बालकविताएँ संकलित हैं!
हर पृष्ठ टिकाऊ और रंगीन है!
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अरविंद राज ने सुंदर चित्रों के साथ
इसके हर पृष्ठ को बहुत मेहनत से सजाया है!
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धरती माँ की प्यास बुझाई।
झूम उठे तब बाग-बगीचे,
पौधों ने ली फिर अँगड़ाई।
बिखर गई हरियाली चहुँदिश,
खिलकर सभी पुष्प मुस्काए।
लिली-चमेली ने तितली को,
मौसम के जयगान सुनाए।
सूर्य-किरण औ' नन्ही बूँदें,
खेल रही हैं आँख-मिचोली।
इंद्रधनुष भी नीलगगन में,
सजा रहा सुंदर रंगोली।
कागज की नावें ले-लेकर,
निकल पड़े हैं नन्हे पाँव।
तैराते ही सब चिल्लाए,
नाव चली नानी के गाँव।
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इस पुस्तक का मूल्य है - रु.साठ मात्र,
पर "सरस पायस" के पाठक इसे आधे मूल्य में
निम्नांकित पते से मँगा सकते हैं!
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शोभा प्रकाशन
आनंदपुरम् कॉलोनी, बीवीजई चौराहा
कनौजिया अस्पताल के पीछे, शाहजहाँपुर (उ.प्र.) - 242001
5 टिप्पणियां:
बिखर गई हरियाली चहुँदिश,
खिलकर सभी पुष्प मुस्काए।
लिली-चमेली ने तितली को,
मौसम के जयगान सुनाए। -----बहुत ही सुन्दर बालगीत पढ़वाया रावेन्द्र जी आपने।डा0 देश बन्धु जी को उनके बालगीत संग्रह के प्रकाशन के लिये हार्दिक बधाई--तथा आपको यह जानकारी देने और संग्रह का बढ़िया बालगीत प्रकाशित करने के लिये धन्यवाद।
कागज की नावें ले-लेकर,
निकल पड़े हैं नन्हें पाँव।
तैराते ही सब चिल्लाए,
नाव चली नानी के गाँव।
बहुत सुन्दर है रचना
ड़ा0 देश बन्धु जी को बाल काव्य संग्रह के प्रकाशन के लिये हार्दिक बधाई----------------------------------------------- बादल दादा ने जब आकर,
धरती माँ की प्यास बुझाई।
झूम उठे तब बाग-बगीचे,
पौधों ने ली फिर अँगड़ाई।---और आपको इतना सुन्दर बालगीत प्रकाशित करने के लिये आभार।
ड़ा0 देश बन्धु जी को बाल काव्य संग्रह के प्रकाशन के लिये हार्दिक बधाई
आप सभी का बहुत बहुत आभार, आप सभी ने मेरे कविता संग्रह को सराहा!
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