♥♥ मथुरा से आए हैं ♥♥
सभी को नचाने!
मथुरा से आए हैं
बाँसुरी बजाने!
बँधी हुई गइया का
दूध पी सकें छककर,
बँधे हुए बछड़ों को
खोलकर भगाने!
मथुरा से ... ... .
सभी सखा भूखे हैं,
खाएँगे जी भरकर,
माखन से भरी हुई
मटकिया चुराने!
मथुरा से ... ... .
♥♥ मथुरा से आए हैं ♥♥
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10 टिप्पणियां:
वाह, कित्ता प्यारा शिशु-गीत और सक्षम के चित्र तो वाकई शानदार..बधाई.
bahut sundar..
सचमुच ऐसे कान्हा को देख कर ही कोई भी गोपी बन जाये...बहुत सुन्दर गीत और ये माखन चोर तो इतने प्यारे लग रहे है क्या बताऊ...
कान्हा की तस्वीर तो वाकई प्यारी है
हिन्दुस्तान अखबार में आपके ब्लॉग और आपके बारे में लिखा हुआ पढ़ा . खुशी हुई , बधाई हो आपको
मेल से प्राप्त पाठक जी का संदेश (लिप्यांतरण/अनुवाद सहित) -
भाई रवि जी, नमन!
Bhai Ravi ji,naman.
बहुत अच्छी सेटिंग (संयोजन) की है आपने। धन्यवाद।
bahut achchhi setting ki hai aapne. Dhanybad.
गीत भी बहुत सुंदर है। साधुवाद।
Geet bhi bahut sunder hai. sadhubad.
डॉ.दिनेश पाठक शशि (मथुरा)
Dr.Dinesh Pathak Shashi. Mathura.
बहुत अच्छी तस्वीर। बहुत सुंदर भाव लिए बाल गीत।
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-१, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
अभिलाषा की तीव्रता एक समीक्षा आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
बड़ा प्यारा शिशुगीत .....
जितने सुन्दर बाल गोपाल सक्षम ....उतना सुन्दर गीत
बहुत अच्छा लगा ....आभार
नन्ही ब्लॉगर
अनुष्का
सक्षम बहुत ही प्यारा लग रहा है और रचना भी तस्वीर पर सटीक बैठती है. आभार रवि जी.
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