"सरस पायस" पर सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत है!

शनिवार, जुलाई 31, 2010

आओ, हम भी नाचें-गाएँ : सूर्यकुमार पांडेय की शिशुकविता

आओ, हम भी नाचें-गाएँ



आसमान में घिरते बादल,
जी भरकर इठलाता मोर।

झूम-झूम अपनी मस्ती में,
सबको नाच दिखाता मोर।



पंखों को फैलाकर अपने,
हमें बहुत ललचाता मोर।

आओ, हम भी नाचें-गाएँ,
देखो, यही सिखाता मोर।




सूर्यकुमार पांडेय

गुरुवार, जुलाई 29, 2010

गुनगुन करती आई गुनगुन : सरस चर्चा ( 7 )

इस बार की सरस चर्चा में
हम सबसे पहले बात करते हैं,
सपनों में खोई इस नन्ही रूपाली की!
पहचानने की कोशिश कीजिए!
कौन हो सकती है, यह? ♥ + ♥


अब यह देखिए -
इस रूपाली को कौन सुना रहा है,
एक सरस सुरीला गीत? ♥ + ♥


गीत सुनानेवाली ने एक प्यारा-सा चित्र भी बनाया है!
चित्र में वह अपनी इस सुंदर बहना को झूला झुला रही है!
अब भी नहीं पहचाना?
अरे, यह तो अपनी रँगीली चुलबुल के घर आई सुरीली गुनगुन है! ♥ + ♥


अब मिलते हैं, इगा से,
जो तीन साल के बाद ब्लॉगिंग की दुनिया में वापस आई है!
देखो न, कितनी बड़ी हो गई है - ♥ + ♥


उसकी तरफ से उसके पापा उसके ब्लॉग पर लिखते हैं!
इगा आजकल हिंदी सीख रही है!
तीन साल पहले वह क्या करती थी?
आप भी देख लीजिए - ♥ + ♥


अरे, इगा तो कुछ-कुछ लविज़ा-जैसी लगती थी!
-- --
लविज़ा से भी मिल ही लेते हैं!
पता करके देखिए, आजकल वह कहाँ-कहाँ की सैर कर रही है? ♥ + ♥


इस सप्ताह एक बहुत ख़ास दिन भी आया,
जब इशिता ने अपनी माँ को "प्यार है" बोला! ♥ + ♥


क्या आप इस जगह को पहचानते हैं?
अगर यहाँ बारिश भी हो रही हो,
तो यहाँ घूमने में कितना मज़ा आएगा!


यह है : लोनावला की ख़ूबसूरत पहाड़ियों की दोस्ती!
वहाँ की बारिश में इस दोस्ती को देखकर,
देखिए, इशिता कितनी ख़ुश है!
आप भी ख़ुश हो जाइए - ♥ + ♥


और अब देखिए, इन कन्हइया को!
इसकी इस मधुर मुस्कान पर भला कौन नहीं रीझेगा?
बीमारी में भी मुस्कराना, तो कोई इससे सीखे!
शुभकामना है : माधव जल्दी से स्वस्थ हो जाए! ♥ + ♥


बैंकॉक में मस्त आदित्य ने डरना छोड़ दिया है!
आप भी देखिए, इसने किसकी मूँछ पकड़ रखी है! ♥ + ♥


भारत के अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में ख़ूब बारिश हो रही है!
चलिए, वहाँ चलकर पाखी की मस्ती भी देख लेते हैं! ♥ + ♥


पाखी द्वारा बनाए गए चित्र तो आप पहले भी देख चुके होंगे!
नन्हा मन पर प्रकाशित उसका एक और नया चित्रांकन देखिए!
देखिए, शायद आप भी गुनगुना उठें, इसे देखकर! ♥ + ♥


आदित्य और अक्षिता के बाद अब अक्षयांशी ने भी छायांकन शुरू कर दिया है!
यह रहा उसके द्वारा खींचा गया एक फ़ोटो - ♥ + ♥


चलते-चलते "सरस पायस" पर प्रकाशित गुलज़ार की
एक अनूठी कविता भी पढ़ लीजिए : चलते-चलते! ♥ + ♥


अगले सप्ताह फिर मिलेंगे!
किसी भी दिन, किसी भी समय!
तब तक के लिए शुभविदा!

रावेंद्रकुमार रवि


बुधवार, जुलाई 28, 2010

चलते-चलते : गुलज़ार की एक नई कविता

चलते-चलते



आदमी के पाँव दो हैं, पाँव-पाँव चलता है!
पंछी भी कभी-कभी तो छाँव-छाँव चलता है!

पैर हैं न पंख हैं, फिर भी यह हवा चले!
चलनेवाले कैसे-कैसे, देखो किस तरह चले!

अपने आप चलते-चलते मेज़ पर से गिर पड़ी!
माधव ने कहा था, "कल भी चल रही थी यह घड़ी!"

माधव ने बताया, "बाबू, फ़ोन फिर से चल पड़ा!
मैंने समझा, नंगे पाँव धूप में निकल पड़ा!"

गुंडों की लड़ाई में तो हॉकियाँ भी चलती हैं!
कहते हैं, कभी-कभी चालाकियाँ भी चलती हैं!

ठाँय-ठाँय करती, सनसनाती गोलियाँ चलीं!
बिन सड़क के, बस्तियों में कितनी बोलियाँ चलीं!

हिलती-डुलती भी नहीं, मगर दुकान चलती है!
मुँह में है बँधी हुई, मगर ज़बान चलती है!

गर्मी, सर्दी, आँधी, पानी, एक जैसा चलता है!
रात हो या दिन हो कहते हैं कि पैसा चलता है!

दाएँ, बाएँ हर तरफ रिवाज़ चलते रहते हैं!
बैठे-बैठे भी तो काम-काज चलते रहते हैं!



-----------------------
कवि : गुलज़ार
-----------------------
चित्रकार : अतनु राय
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चकमक के जिस पृष्ठ पर यह कविता प्रकाशित हुई है,
उसे बड़ा करके स्पष्ट रूप से देखने के लिए नीचेवाले चित्र पर चटका लगाइए!
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सोमवार, जुलाई 26, 2010

कमल के फूलों-जैसे : नीलेश माथुर की नई कविता

कमल के फूलों-जैसे



















सच कहा तुमने -
कमल कीचड़ में भी खिलते हैं!

कल ही
शहर की गंदी बस्ती में
मैंने देखे थे -
कमल के कुछ झुंड!





















सचमुच, बहुत प्यारे थे -
वे सारे बच्चे!

बिल्कुल कमल के फूलों-जैसे! 














नीलेश माथुर

शनिवार, जुलाई 24, 2010

मेरा मन : रावेंद्रकुमार रवि की नई कविता

मेरा मन

जब नीले आसमान पर
काले-सफ़ेद रंगों की
कोमल और गुदगुदी
परतें चढ़ जाती हैं
और
परतों के बीच से निकले
मधुर संगीत से
मस्त होकर
वसुधा का अंग-अंग
थिरकने लगता है,
पौधे झूमने लगते हैं,
कलियाँ मुस्कराने लगती हैं,
भौंरे गुनगुनाने लगते हैं,
पंछी चहचहाने लगते हैं
और मेढक
उठाकर अपनी "टर्र" का तानपूरा
कोई विचित्र राग
अलापने लगते हैं
तथा
इन सब ध्वनियों को
अपने आप में समेटे
हवा
जब धीरे-से
मेरा स्पर्श करती है,
तो मेरा मन
रिमझिम के संगीत के साथ
झंकृत होकर
प्रीत का गीत
गाने लगता है!
मेरा मन
मुझे ही
लुभाने लगता है!

रावेंद्रकुमार रवि

शुक्रवार, जुलाई 23, 2010

क्या बात है मेरे लाल : सरस चर्चा ( 6 )

आज की इस चर्चा में अधिक तो नहीं दे पा रहा हूँ!
पर जो भी दे रहा हूँ, उसे सरस करने की पूरी कोशिश की है!


आजकल सबसे अधिक चर्चा में है : पाखी!
कोई उसके लिए कविता लिख रहा है!
कोई उसकी दुनिया के लिए सुंदर हैडर बनाकर दे रहा है!
उसे श्रेष्ठ नन्ही ब्लॉगर का सम्मान भी मिल चुका है!
लैपटॉप उसे मिल ही चुका है!
और अब ... ... .
अब तो पाखी ने छायांकन भी शुरू कर दिया है!
पाखी ने अपनी माँ की बहुत सुंदर तस्वीर खींची है!
अब तो श्रेष्ठ छायाकार का ख़िताब भी उससे दूर नहीं रह गया!
पाखी की माँ का जन्म-दिन भी निकट है!
उसकी समझ में नहीं आ रहा है कि वह अपनी माँ को क्या उपहार दे!
आप भी उसकी मदद कर सकते हैं! ♥ + ♥


इशिता की किट्टी की चमक भी कुछ कम नहीं है!
देखो न, कितनी गोरी-चिट्टी है!
इस किट्टी की पिट्टी करने का तो मन ही नहीं करता,
क्योंकि यह कोई भी गड़बड़ी नहीं करती!
यह किट्टी तो मिट्टी में भी नहीं खेलती!
इसे देखकर तो किसी की सिट्टी-पिट्टी भी गुम नहीं होती!
यह इशिता को बहुत ख़ुश रखती है!
इशिता भी इसे ख़ुश रखने के लिए अच्छी-अच्छी कविताएँ सुनाती है!
एक कविता तो आप भी सुन ही लीजिए! ♥ + ♥


आदित्य की तो हर अदा निराली है!
इनके ब्लॉग को भी श्रेष्ठता का दर्ज़ा पहले से ही हासिल है!
इनके माता-पिता इनसे प्रेरणा लेकर पता नहीं क्या-क्या करते हैं!
इस प्रेरणा से फिर वे सबको अच्छा करने के लिए प्रेरित करते हैं!
एक बहुत बढ़िया बात हुई है!
आदि की मोहक अदाओं ने किसी को कवि भी बना दिया है!
कवि बननेवाले और कोई नहीं, उनके पापा ही हैं!
आदि की लहराती जुल्फों को देखकर उन्होंने बहुत अच्छी कविता रची है!
चलिए, इस कविता को हम सब भी पढ़ते हैं! ♥ + ♥


माधव भी अपने ब्लॉग से हमेशा कुछ न कुछ अच्छा संदेश देते हैं!
पल्स पोलियो अभियान में इनकी सक्रिय भूमिका रही!
पर्यावरण-दिवस पर भी इन्होंने बहुत अच्छा कार्य किया!
इनकी अदाएँ भी कम मन-मोहनी नहीं होतीं!
इनकी टिप्पणियाँ भी बहुत महत्त्वपूर्ण होती हैं!
ये हम सबको दिल्ली की सैर तो कराते ही रहते हैं!
इस बार ये हमें प्रगति मैदान के मोहक नज़ारे दिखा रहे हैं!
हमें भी वहाँ चलना चाहिए! ♥ + ♥


"सरस पायस" पर शुरू से ही नन्हे दोस्तों के आकर्षक फ़ोटो जगमगाते रहे हैं!
अब तो "सरस पायस" के भी सुंदर-सुंदर फ़ोटो यहाँ सजने लगे हैं!
उनकी सफलताओं के बारे में पिछले सप्ताह आप सब जान ही चुके हैं!
मेरी बहुत-सी रचनाएँ "सरस पायस" से ही प्रेरणा पाकर रची गई हैं!
उनके चाचा अरविंद राज ने भी उनके लिए एक गीत रचा था!
उस समय "सरस पायस" मात्र डेढ़ साल के थे!
चलिए, हम सब भी पढ़ते हैं, यह मधुर गीत! ♥ + ♥


रावेंद्रकुमार रवि

बुधवार, जुलाई 21, 2010

सुन, ओ सरस! सुन ... : अरविंद राज का नया बालगीत

सुन, ओ सरस! सुन ... 

IMG_0136

झरनों का शोर और
झींगुर की झुन,
साँझ का सलोना-सा
गीत रहे बुन!

सुन, ओ सरस! सुन ... 


पर्वत के माथे को
बादल सहलाते हैं,
बादल की शाल तले
चाँद जी सुहाते हैं!

चंदनिया छेड़ रही
लोरी की धुन!

सुन, ओ सरस! सुन ... 

थोड़ी ही देरी में
तारे भी आएँगे,
अंबर के आँगन में
चाँदी बिखराएँगे!

निंदिया के गाँव चल
सपने लें चुन!

सुन, ओ सरस! सुन ... 















अरविंद राज (सरस पायस के चाचा)

(चित्र में : पल्लवी, दीप्ति, कुसुम और संगीता के साथ 
डेढ़ साल का "सरस पायस" : 1997 में लिया गया चित्र)

सोमवार, जुलाई 19, 2010

मस्ती करने को मन तरसे : गिरीश पंकज के चार शब्द-चित्र


मस्ती करने को मन तरसे


सरस रहे हैं खेत हमारे,
फसल लिखेगी नई कहानी।
ख़ुश हैं बहुत हमारी नानी,
अहा, अहा, अब बरसा पानी।


गरमी भागी, आई बारिश,
सबके मन को भाई बारिश।
देख नाचती इस दुनिया को,
फूलों-सी मुस्काई बारिश।


बाहर देखो पानी बरसे,
मस्ती करने को मन तरसे।
आओ, कुछ मिट्टी में खेलें,
निकल पड़ो सब अपने घर से।


बरसा पानी जब धरती पर,
समझो हुई हमारी मौज।
नाचे, गाए, धूम मचाए,
बारिश में हम सबकी फ़ौज।

--
गिरीश पंकज

शनिवार, जुलाई 17, 2010

मस्ती में : पूर्णिमा वर्मन का एक शिशुगीत

मस्ती में


नानी-नातिन मस्ती में,
मस्ती मिल गई सस्ती में!


लोटपोट कर बात हुई,
हँसते-हँसते रात हुई!
सोना भूल गईं दोनों,
खेल-खेल में प्रात हुई!


दोनों की मनमानी की,
ख़बर हो गई बस्ती में!


गीत : पूर्णिमा वर्मन, छाया : इला प्रवीण
----------------------------------------------------
(चित्र में : आन्या और उसकी नानी पूर्णिमा वर्मन)

शुक्रवार, जुलाई 16, 2010

नए जहाँ के इन बच्चों में होशियारी है बहुत : सरस चर्चा ( ५ )



प्यारे दोस्तो, आप सभी को


अक्षयांशी, आदि, जादू, पाखी, माधव और लवी का प्यार-भरा नमस्कार!

नन्हे दोस्तों की इस साप्ताहिक चर्चा में आप सबका हार्दिक स्वागत है..
यह सप्ताह बहुत धमाल और मस्ती-भरा रहा..
देखते हैं, क्या-क्या ख़ास हुआ है बच्चों के ब्लॉग्स की दुनिया में इस बार..

भाग :१: ख़ुशी के लम्हे

१. सरस पायस को मिला "बेस्ट इन कंप्यूटर्स" अवार्ड




इसके साथ ही "पाखी की दुनिया" का एक साल भी पूरा हो गया है..



लँगोटी से चड्ढी तक का पूरा सफर ब्लॉग पर..

हमारी ओर से इन तीनों को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएँ..



भाग :२: हमारी बातें



फ़ोटो होती तो ज़रूर दिखाते..
आपको मज़े लेने के लिए उसके ब्लॉग पर ही जाना पडेगा..
क्या पता वहाँ फ़ोटो भी मिल जाए..

२. आदि स्कूल में...



हाँ.. ऐसा ही है आदि का स्कूल..

३. बबल्स का खेल इशिता के साथ..



४. छोटी पाखी कह रही है "सॉरी मम्मी ......."
गिर गया तो गिर गया मोबाइल..
मस्त रहने का... मम्मी ने तो कब का माफ़ कर दिया.. पूछो ज़रा...
५. नन्ही-सी जान और ढेर सारे काम..
देखो न, लवी को कितना काम करना पड़ रहा है..

६. कहानी सुना रहा है शुभम् : क्लाउड्स की टक्कर और वर्षा



भाग ३: नन्ही कलम से


१. सागर कुमार बाल सजग पर


बरसात का मौसम बड़ा सुहाना
देता शीतल हवा और ठंडक




-- : मेघावी सिंह की तितली :--



और मज़े की बात यह है कि
इस चित्र के साथ बड़ी कलम भी है रावेंद्र कुमार रवि की..

बैठो आकर मेरे सिर पर,
दर्पण में मैं देखूँगी!
मैं भी नाचूँ, तुम भी नाचो,
मन में ख़ुशियाँ भर लूँगी!



३. विश्वबंधु चित्र और गीत के साथ सरस पायस पर


ये हैं विश्वबंधु..


यह है : उनके द्वारा बनाया गया चित्र..



और ये रहे उनके गीत के बोल..

वह तो सबके मन को भाया।
सूरज आया, सूरज आया।

भाग :४: बच्चों के लिए


१. चूचू और चिंटी - नन्हा मन पर सीमा सचदेव

अंधियारे में करे शैतानी
कॊपी पर वो डाले पानी


२. "स्लेट और तख्ती" नन्हें सुमन पर डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री


सिसक-सिसक कर स्लेट जी रही,
तख्ती ने दम तोड़ दिया है।
सुन्दर लेख-सुलेख नहीं है,
कलम टाट का छोड़ दिया है।।



३. बारिश का मजा - बाल दुनिया पर कृष्ण कुमार यादव


बंटी, बबलू, पाखी आओ
सब बारिश का मजा उठाओ
छप-छप-छप खेलो पानी में
कागज की तुम नाव चलाओ

--: सूचना :--

१. 'बाल-दुनिया' हेतु बच्चों से जुड़ी रचनाएँ,
चित्र और बच्चों के बारे में जानकारियाँ आमंत्रित हैं..
जल्दी से भेज दीजिए.. इस पते पर..



२. बच्चों की और बच्चों के लिए प्यारी-प्यारी बातें
इस नए संकलक पर आप हमेशा देख सकते हैं..
यह केवल और केवल बच्चों के लिए है..

और चलते-चलते देखिए ये दो स्टंट




अब लगाते हैं सरस चर्चा के इस अंश पर विराम...


और आज इसे आप तक लेकर आए हैं आदि के पापा...



अगले सप्ताह इस रंग-बिरंगी दुनिया में फिर मिलेंगे...


तब तक के लिए - शुभविदा!


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