"सरस पायस" पर सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत है!

मंगलवार, अगस्त 31, 2010

बहुत ख़ुश है सरस पायस : रवि ने किरण सजाई है!

------------------------------------------------------------------------------------
छम-छम करती नन्ही-प्यारी बहना आई है!
------------------------------------------------------------------------------------
इस दुनिया में आने के दो घंटे बाद
मेरा पहला फ़ोटो लिया गया!
मुझे पता ही नहीं चला!
पता भी कैसे चलता?

मैं तो सोई हुई थी!
मीठे-मीठे सपनों में खोई हुई थी!


मुझे कुछ-कुछ पता चला,
जब अगले दिन मेरा दूसरा फ़ोटो लिया गया!

मेरे सपने इतने बढ़िया थे
कि मैं जागना ही नहीं चाह रही थी!


पर मेरे पापा माने ही नहीं
और उन्होंने मुझे जगा ही दिया!

दो दिन की होते ही
उन्होंने मेरा तीसरा फ़ोटो भी ले लिया!

मैंने उनके प्यार को
अपनी दोनों मुट्ठियों में बंद कर लिया!


फिर तो मैंने उनको ख़ूब बढ़िया-बढ़िया अदाएँ दिखाईं
और ख़ूब बढ़िया-बढ़िया फ़ोटो खिंचवाए!


मैंने उनको एक गीत भी सुनाना चाहा,
पर गाकर सुना नहीं पाई!
जब बोलने लगूँगी, तब सुनाऊँगी!


अभी तो आपको पढ़कर ही काम चलाना पड़ेगा!
- मेरे ताऊ जी द्वारा मेरे आने की ख़ुशी में रचा गया यह गीत -

रवि ने किरण सजाई है!

ख़ुशियों की किलकारी भरती,
बिटिया रानी आई है!


लगता फूलों की क्यारी में,
कली एक मुस्काई है!
अपनी ख़ुशबू से महकाकर,
सबके मन को भाई है!

बिटिया रानी आई है!

इसकी बतियाँ बहुत सरस हैं,
अँखियों से बतियाई है!
देख-देखकर इसकी शोभा,
मस्ती सब पर छाई है!

बिटिया रानी आई है!

इसकी साँसों की रुनझुन से,
सबको मिली बधाई है!
ऐसा लगता, जैसे कोई,
बजी मधुर शहनाई है!

बिटिया रानी आई है!

जीवन-भर रह सके सुखी यह,
ऐसी बात बनाई है!
इसके सिर पर आशीषों की,
रवि ने किरण सजाई है!

बिटिया रानी आई है!


रावेंद्रकुमार रवि

मेरे आने से मेरे परिवार के सब लोग बहुत ख़ुश हैं!
मेरे दोनों भाइयों की ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा!

प्रियांशु ओम तो एक पल के लिए भी
मुझे छोड़ना नहीं चाहता!


सरस पायस भी इतना ख़ुश है कि
मुझे हर पल अपनी गोद में ही रखना चाहता है!


ताऊ मुझे रुनझुन कहकर बुलाते हैं और ताई नयना!
माँ को भी नयना कहना पसंद है!
- पर पापा ने मेरा नाम रखा है -

♥♥ ओजस्वी ♥♥

अब तो आप सब मुझे पहचान गए ना?
मैं ही तो हूँ,
- जिसके आने की बात सरस चर्चा (11) में की गई थी -


इंद्रधनुष के रंगों से सजी,
सात सुरों को अपने मन में बसाए,
यह कौन है, जो सरस पायस के मन को भाई है?
सबको मीठे-मीठे सरसगीत सुनाने आई है!

पहचानिए तो ज़रा!


♥♥ ओजस्वी रुनझुन ♥♥
------------------------------------------------------------------------------------------------
- इस अनमोल कृति के सर्जक हैं -
♥♥ अरविंद राज और मधु रानी ♥♥
------------------------------------------------------------------------------------------------

10 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

ओजस्वी रूनझुण, बहुत प्यारा नाम हमारी बिटिया का, बिलकुल बिटिया की तरह सुंदर, बहुत बहुत प्यार

राजभाषा हिंदी ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

राष्ट्रीय एकता और विकास का आधार हिंदी ही हो सकती है।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत-बहुत बधाई हो!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत बहुत बधाई ....चित्र और कविता दोनों बहुत सुन्दर ..

siddheshwar singh ने कहा…

बधाई एक नन्हीं परी के आगमन पर!

siddheshwar singh ने कहा…

बधाई एक नन्हीं परी के आगमन पर!
यह आपके छोटे भाई की बिटिया है न?
बधाई!

SATYA ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति,
आप भी इस बहस का हिस्सा बनें और
कृपया अपने बहुमूल्य सुझावों और टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें:-
अकेला या अकेली

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…

नन्ही परी के स्वागत का यह बडा अनूठा और भावपूर्ण तरीका है । आप सबको इस खूबसूरत गुडिया के जन्म की हार्दिक बधाई ।

Shubham Jain ने कहा…

ठुमक ठुमक इठलाती आई इस प्यारी सी राधा रानी को ढेर सारा प्यार...

रंजन ने कहा…

बहुत सुन्दर गीत.. बधाई..

Related Posts with Thumbnails

"सरस पायस" पर प्रकाशित रचनाएँ ई-मेल द्वारा पढ़ने के लिए

नीचे बने आयत में अपना ई-मेल पता भरकर

Subscribe पर क्लिक् कीजिए

प्रेषक : FeedBurner

नियमावली : कोई भी भेज सकता है, "सरस पायस" पर प्रकाशनार्थ रचनाएँ!

"सरस पायस" के अनुरूप बनाने के लिए प्रकाशनार्थ स्वीकृत रचनाओं में आवश्यक संपादन किया जा सकता है। रचना का शीर्षक भी बदला जा सकता है। ये परिवर्तन समूह : "आओ, मन का गीत रचें" के माध्यम से भी किए जाते हैं!

प्रकाशित/प्रकाश्य रचना की सूचना अविलंब संबंधित ईमेल पते पर भेज दी जाती है।

मानक वर्तनी का ध्यान रखकर यूनिकोड लिपि (देवनागरी) में टंकित, पूर्णत: मौलिक, स्वसृजित, अप्रकाशित, अप्रसारित, संबंधित फ़ोटो/चित्रयुक्त व अन्यत्र विचाराधीन नहीं रचनाओं को प्रकाशन में प्राथमिकता दी जाती है।

रचनाकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे "सरस पायस" पर प्रकाशनार्थ भेजी गई रचना को प्रकाशन से पूर्व या पश्चात अपने ब्लॉग पर प्रकाशित न करें और अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित न करवाएँ! अन्यथा की स्थिति में रचना का प्रकाशन रोका जा सकता है और प्रकाशित रचना को हटाया जा सकता है!

पूर्व प्रकाशित रचनाएँ पसंद आने पर ही मँगाई जाती हैं!

"सरस पायस" बच्चों के लिए अंतरजाल पर प्रकाशित पूर्णत: अव्यावसायिक हिंदी साहित्यिक पत्रिका है। इस पर रचना प्रकाशन के लिए कोई धनराशि ली या दी नहीं जाती है।

अन्य किसी भी बात के लिए सीधे "सरस पायस" के संपादक से संपर्क किया जा सकता है।

आवृत्ति