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बुधवार, जून 29, 2011

बहुत मज़े में : वंशिका की रंजना के साथ रवि का शिशुगीत

♥♥ बहुत मज़े में ♥♥


आसमान में नन्हे बादल
बहुत मज़े में घूम रहे हैं!

पर्वत इन्हें बुलाएगा जब,
एक साथ वे उधर मुड़ेंगे!
पर्वत से टकरा-टकराकर,
एक साथ फिर इधर मुड़ेंगे!

मस्त हवा के संग-संग वे
बहुत मज़े में झूम रहे हैं!



रंजना : वंशिका माथुर  गीत : रावेंद्रकुमार रवि

7 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

अविश्वसनीय किन्तु सत्य...वंशिका की ड्राइंग को इतना ज्यादा पसंद करने और उस पर इतनी बेहतरीन कविता रचने के लिये आपको असंख्य धन्यवाद सर!

सादर

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

आपकी रचना और वंशिका की रंजनाएँ दोनों बेहतरीन ,......

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

वाह!
वंशिका की पेंटिंग और रवि जी का बालगीत!
दोनों ही बहुत बढ़िया हैं!

बेनामी ने कहा…

बहुत सुन्दर पेंटिंग और गीत...

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर गीत...

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

सुंदर पेंटिंग ...प्यारी कविता

विभूति" ने कहा…

bhut khubsurat rachna aur painting...

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